
मुंबई (Maharashtra News) [India] : Mumbai : कोल्हापुर विधानसभा उपचुनाव का नतीजा महाविकास अघाड़ी के पक्ष में हैं। कांग्रेस विधायक चंद्रकांत जाधव (MLA Chandrakant Jadhav) के अकाली निधन के बाद उनकी पत्नी जयश्री जाधव (Jayshree Jadhav) ने उपचुनाव जीता है। इस चुनाव के परिणाम ने महाराष्ट्र में भविष्य की राजनीति की कई दिशाएं निर्धारित की हैं। कई लोगों की प्रतिष्ठा भी धूमिल हुई। गठबंधन और भाजपा दोनों ने पूरी ताकत से ये चुनाव लड़ा था।
मोर्चे की अभेद्य एकता काम आयी
इस चुनाव में शिवसेना में नाराजगी के स्वर उठे थे। हालांकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने तुरंत सहमति जताते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के लिए काम करने का आदेश दिया, जिससे बहुत फर्क पड़ा। इस चुनाव के अवसर पर महाविकास अघाड़ी के रूप में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना ने आंतरिक मतभेदों से परहेज किया और एकता दिखाई, उसका खामीयाजा भाजपको भूगतना पडा है।

अब चर्चा है कि महाविकास अघाड़ी की जीत का यह कोल्हापुर पॅटर्न पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. यह चुनाव कांग्रेस नेता और कोल्हापुर के संरक्षक मंत्री सतेज पाटिल के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के बीच मे था। अंतर यह था कि सतेज पाटिल की अपनी ताकत इस निर्वाचन क्षेत्र में थी, लेकिन चंद्रकांत पाटिल की ताकत महाडीक समूह की ताकत पर निर्भर थी। इसलिए जयश्री जाधव जीत गईं। मतोंके बडे अंतर से यह चुनाव जयश्री जाधवने जीता है। इससे महाविकास आघाडीका आत्मविश्वास बढ गया है।
आघाडीका प्रयोग सफल हो रहा है
महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन के बाद से हुए तीन उपचुनावों में महाविकास अघाड़ी ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। नांदेड़ जिले के देगलुर बिलोली निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हुआ। वह सीट भी कांग्रेस की थी। पीडब्लुडी मंत्री अशोक चव्हाण ने सही ढंग से इसे जीत लिया। बीजेपी ने तब शिवसेना के पूर्व विधायक सुभाष सबने को बीजेपीसे मैदानमे उतारा था। उस समय अशोक चव्हाण द्वारा लागू की गई रणनीति और तीनों दलों ने महाविकास अघाड़ी के रूप में ताकत दिखायी, नतीजा ये हुआ की कांग्रेस की सीट बरकरार रही। पुणे और नागपुर के पदवीधर मतदार संघ भाजपा के पारंपरिक गढ़ हैं। लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा और इन दोनों बीजेपी के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्रों में, कांग्रेस और एनसीपी ने जीत हासिल की थी। औरंगाबाद के पदवीधर मतदारसंघकी भी यही तस्वीर थी। भाजपा पिछले दिसंबर में देगलूर विधानसभा उपचुनाव में विफल रही थी क्योंकि तीनों दलों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। कांग्रेस विधायक चंद्रकांत जाधव का कोल्हापुर में निधन हो गया। इसलिए उपचुनाव में बीजेपी के पास मजबूत उम्मीदवार नहीं था. इसलिए, 2014 में, भाजपा ने सत्यजीत कदम को नामित किया, जिन्होंने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस से चुनाव लड़ा था। लेकीन उसका फायदा नही हुआ।
फडणवीस का डेरा और बीजेपी की फौज
चूंकि यह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का जिला है, इसलिए राज्य और केंद्र में भाजपा की सारी ताकत इस चुनाव में भाजपा के पीछे थी। बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस खुद यहां डेरा डाले हुए थे। भाजपने चुनाव मेे यह संदेश दिया था कि हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसैनिक कांग्रेस को वोट नहीं देंगे, लेकिन जयश्री जाधव की इस जीत से बीजेपी की यह भविष्यवाणी गलत हो गई है। ईडी ने राकांपा मंत्री हसन मुश्रीफ को धमकी दी थी। राज ठाकरे के जरिए हनुमान चालीसा के मुद्दे को सामने लाया गया। चंद्रकांत पाटिल ने घोषणा की थी कि अगर वह यह चुनाव हार गए तो वे हिमालय चले जाएंगे। इन सबका नतीजा यह हुआ कि इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर जरूर बढ़ा है। पिछली बार इस निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार के लिए भाजपा के पास लगभग 40,000 वोट थे लेकिन इस बार यह आंकड़ा लगभग 70,000 हो गया है। यही बीजेपी की ताकत है। महाविकास अघाड़ी के नेता इसे नजरअंदाज नहीं कर सकतेे।
बीजेपी नेताओंकी बयानबाजी का असर
बीजेपी नेता जिस तरह से बयानबाजी कर रहे थे उसका इस चुनाव पर बुरा असर पड़ा है। शिवसेना और राकांपा नेताओं को लगातार निशाना बनाना, ईडी की धमकी, एक ही पार्टी के नेताओं को लगातार अदालती जमानत और पार्टी के अन्य सभी नेताओं को सीधे कारावास की सजा ने भी इस चुनाव को कडा असर पडा है। कोल्हापुरियों के अप्रत्याशित डीएनए से भाजपा नेता लापरवा रहे हैं। कोल्हापुरकर न किसी की सुनते हैं और न ही कोई धमकीसे डरते हैं। भाजपा नेताओं को इस बात का अहसास नहीं था कि चार राज्यों के चुनावों में मिली सफलता और मोदी के करिश्मे के साथ-साथ हिंदुत्व का मुद्दा भी कोल्हापुर में काम नहीं करेगा। चंद्रकांत पाटिल द्वारा उम्मीदवारी के लिए जयश्री जाधव के दरवाजे पर लगाए गये चक्कर भी भाजपको दिक्कत मे डालने वाले साबीत हुये है। एक बार आप एक उम्मीदवार को टिकट दे देते हैं और दुसरे उम्मीदवार के दरवाजे पे बार बार जाते हो तो उसका गलत असर भाजप के उम्मीदवार पर पड गया।
महाविवकास आघाडी को एक आशा की किरण
इस परिणाम ने महाविकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। ईडी, सीबीआई, आयकर और लगातार घोटाले की बदनामी जैसी विभिन्न एजेंसियों से त्रस्त महाविकास अघाड़ी के नेताओं को कोल्हापुर के फैसले से कुछ राहत मिली है। पार्टी कार्यकर्ताओं को अब लगने लगा है कि आगामी नगर निगम चुनाव और विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी आघाडी का यही रवय्या रहना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी नेताओं के लिए बडी समस्या यह है कि इस दुविधा का हल कैसे निकाला जाये। महाराष्ट्र में भाजपा की छवि किस तरह नकारात्मक होती जा रही है, यह इसका अच्छा उदाहरण है।
राजा आदाटे