अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में हुआ आयोजन
धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी ने लगाई गई प्रदर्शनी का निरीक्षण कर आयोजन की सराहना की
धमतरी : दिनों दिन बढ़ते प्रदूषण और वनों की कटाई से पर्यावरण का संतुलन बढ़ते ही जा रहा है। वनों से आच्छादित पेड़ों आज घटते जा रहे हैं, जिससे प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। बच्चों को वनों व पर्यावरण से जोड़ने के उद्देश्य से अजीम प्रेमजी फाउंडेशन शंकरदाह में सात दिवसीय फोटो प्रदर्शनी, कार्यशाला का आयोजन किया गया, जहां काफी संख्या में अलग-अलग स्कूलों के छात्र-छात्राएं पहुंच रहे हैं। शनिवार को कलेक्टर नम्रता गांधी ने प्रदर्शनी का निरीक्षण कर आयोजन की सराहना की।
स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षक सईद ने कहा कि पेड़ पौधे हमारे संस्कृति में रचे बसे हुए हैं, जिसे आज भी आसानी से देखा जा सकता है। कई संस्कृतियां वनों के ऊपर ही आधारित है उनका रहन-सहन भी इन्हीं पर निर्भर है। बढ़ते आधुनिकीकरण के कारण जंगल से लोगों का कटाव होते जा रहा है, जो कि सही नहीं है। पर्यावरण और इंसान एक दूसरे के पूरक हैं। आज पेड़ों की कटाई के कारण कई विनाशकारी घटनाएं हो रही हैं। स्कूली छात्राओं को पर्यावरण से जोड़ने और एक नए युग का संचार करना आजा आवश्यक हो गया है। वनों में मिलने वाले कहीं पेड़ हजारों साल की उम्र के हैं। इन्होंने एक लंबा समय बीतते हुए देखा है। मनुष्य अपने सीमित स्वार्थ पूर्ति के लिए हजारों साल पुराने पेड़ों को भी काट देते हैं, जिसका विपरीत असर देखने को मिलता है। सन 2013 में हुई भूस्खलन की कई विनाशकारी घटनाएं वनों के लगातार दोहन के कारण ही हुई हैं लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए पेड़ों की कटाई बदस्तूर करते जा रहे हैं, जो की सही नहीं है।
संस्थान के पुरूषोत्तम ठाकुर ने बताया कि स्कूली बच्चों को बचपन से ही पर्यावरण की प्रति सचेत करने उनसे जुड़ाव रखना और एक हरा भरा परिवेश निर्मित करने के लिए ऐसे आयोजन किया जा रहे है। इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिला है। आने वाले समय में भी इस तरह के आयोजन किए जाएंगे
पेड़ों का क्रमिक विकास है एक लंबी प्रकिया
उन्होंने बताया कि पेड़ों का क्रमिक विकास कैसे शुरू हुआ है यह एक लंबी प्रकिया है। आज के समय में बड़े-बड़े पेड़ों के रूप में हमें दिखाई देते हैं वे पूर्व में काफी छोटे थे। इंसान अपनी छोटी-छोटी जरूरत को पेड़ पौधों से ही प्राप्त करते हैं। हमें शांत वातावरण प्राप्त करने के लिए वनों की ओर झुकना ही पड़ेगा। सच्ची आत्मिक शांति हमें जंगल के साथ सानिध्य में ही मिलता है। इंसान अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए लगातार कंक्रीट के जंगल बनाता जा रहा है। विकास के साथ ही साथ पर्यावरण का संरक्षण भी हम सबकी जिम्मेदारी है। इस फोटो प्रदर्शनी वर्कशाप कार्यशाला में प्रति दिन शासकीय व निजी स्कूल के 300 से 400 स्कूली बच्चे अवलोकन करने पहुंच रहे हैं। नृत्य नाटिका वर्कशाप व फोटो प्रदर्शनी का अलग ही रोमांच है।
एआई तकनीक से बनाई गई हजारों साल लुप्त पेड़ पौधों की आकृति ने किया रोमांचित
स्कूल के छात्र रमेश कुमार साहू, आस्था सिन्हा, पवन कुमार ने बताया कि पेड़ पौधों से संबंधित यहां लगाई गई फोटो प्रदर्शनी काफी ज्ञानवर्धक है। कई प्रकार की नई जानकारी यहां हमे देखने को मिली। एआई तकनीक से बनाएं गए हजारों साल लुप्त पेड़ पौधों की आकृतियों ने हमें रोमांचित किया। इसी तरह पर्यावरण संतुलन के लिए जीव जंतुओं की क्या अहमियत है, इसे भी यहां दिखाया गया।