ढाका : (Dhaka) भारत में चटखारे लेकर खाई जाने वाली बांग्लादेश से आयातित हिल्सा मछली (The size of Hilsa fish imported from Bangladesh) का आकार आजकल वहां के मछुआराें के लिए बड़ा मसला बना हुआ है क्याेंकि देश के दक्षिणी क्षेत्र के बाज़ारों से बड़े आकार की हिल्सा लगभग गायब हो गई हैं। व्यापारियों का कहना है कि अब ज़्यादातर पकड़ी गई हिल्सा का वज़न 200 से 400 ग्राम के बीच ही है।
डेली स्टार (According to the Daily Star)के मुताबिक देश के बाजाराें से बड़े आकार की हिल्सा मछलियां लुप्त सी हाे गई हैं और जबकि छाेटी मछलियाें की बाढ़ सी आ गई है। बरिशाल संभागीय मत्स्य कार्यालय के अनुसार ये छोटी हिल्सा 400 से 600 टका प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रही हैं। वर्तमान में पकड़ी जा रही 60-65 प्रतिशत हिल्सा इसी आकार की हैं।
इस बीच मछुआरों ने बताया कि पिछले वर्षों के विपरीत इस साल न केवल पकड़ी गई मछलियां कम मात्रा में हैं, बल्कि उनमें भी छोटे आकार की मछलियां ज़्यादा हैं। गाैरतलब है कि मौसम के इसी चरण में बड़ी मछलियां उपलब्ध होती थीं।
संभागीय मत्स्य विभाग (The divisional fisheries department) ने बताया कि 225 ग्राम से कम वज़न वाली हिल्सा को “जटका” (225 grams is considered “Jatka,”) माना जाता है जिन्हें पकड़ना और बेचना प्रतिबंधित है। फिर भी जटका और थोड़ी बड़ी मछलियाँ बाज़ारों में खुलेआम बिक रही हैं। हाल ही में बारिशाल संभाग के 364 बाज़ारों और लैंडिंग स्टेशनों पर लगभग 567 टन हिल्सा मछलियाँ लाई गईं जिनमें से 65 प्रतिशत का वज़न 200 से 400 ग्राम के बीच ही था।
बारिशाल बदंरगाह रोड (Barishal Port Road) के थोक लैंडिंग केंद्र पर आरिफ एंटरप्राइज के प्रबंधक मोहम्मद शकील ने बताया कि बाज़ार में ज़्यादातर आपूर्ति छोटी मछलियों की ही हाे रही है। उन्हाेंने कहा, “दो दिन पहले 300 ग्राम की मछली जिसकी कीमत 1,000 टका प्रति किलोग्राम थी, अब 1,060 टका हो गई है। 700-800 ग्राम वज़न वाली मछलियों की कीमत 1,960 टका से बढ़कर 2,000 टका प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि एक किलो वाली मछली की कीमत 2,210 टका से बढ़कर 2,260 टका हो गई।” उन्होंने बताया कि लाई गई आधे से ज्यादा यानी 60-70 प्रतिशत मछलियां छोटी थीं। इस साल मछलियाें की कुल आपूर्ति पिछले साल की तुलना में लगभग आधी थी।
इस बीच कुआकाटा के मछुआरे सिद्दीक माझी ने बताया कि तट पर लाई गई हर पांच मन मछलियों में से तीन मन में 300-400 ग्राम हिल्सा होती हैं व्यापारियों ने इस माैसम में बड़ी हिल्सा की कमी के लिए पिछले साल जटका संरक्षण अभियानों की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया।
अलीपुर स्थित बीएफडीसी मछली केंद्र के प्रबंधक शरीफुल इस्लाम ने (Shariful Islam, manager of the BFDC fish center in Alipur) कहा कि खराब मौसम के कारण कई ट्रॉलर समुद्र में नहीं जा पा रहे हैं जिससे उत्पादन में कमी आई है। उन्होंने कहा, “आज हमें जो 30 मन मछलियाँ मिलीं, उनमें से लगभग 25 मन का वज़न 300 से 400 ग्राम के बीच ही था।” उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में हिल्सा की कीमतें 5,000 टका से बढ़कर 10,000 टका प्रति मन हो गई हैं। उन्हाेंने बताया कि 500-700 ग्राम वजन वाली मछलियाँ अब 70,000 टका प्रति मन बिक रही हैं जो पहले 60,000-65,000 टका थी। वही एक किलो वाली मछली जो पहले 70,000-80,000 टका मिलती थीं, अब 90,000 टका प्रति मन बिक रही है।
इस बीच बरिशाल मत्स्य विभाग के वरिष्ठ सहायक निदेशक मोहम्मद अनिसुज्जमां ने कहा कि इस साल हिल्सा उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होने की संभावना है। उन्होंने कहा, “हमें गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि नदी प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण हिल्सा के प्रवास मार्ग बदल रहे हैं। परिणामस्वरूप बड़ी मछलियां दुर्लभ हैं और पकड़ी गई लगभग 65 प्रतिशत मछलियां 200-450 ग्राम वजन वाली हिल्सा ही होती हैं।”
उन्हाेंने कहा कि जटका पकड़ना और बेचना गैरकानूनी है, लेकिन नदियों के विशाल नेटवर्क की निगरानी करना मुश्किल है। जब भी हमें रिपोर्ट मिलती है हम पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाते हैं। कानून प्रवर्तन अधिकारियों को जटका पकड़ने और बिक्री पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं।
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