Dhaka : बांग्लादेश के गोपालगंज में हिंसा में मारे गए लोगों का बिना पोस्टमार्टम के अंतिम संस्कार!

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ढाका : (Dhaka) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (government of Bangladesh) हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और गोपालगंज में बुधवार को हुई हिंसा में मारे गए लोगों का बिना पोस्टमार्टम के अंतिम संस्कार कर दिया गया। सरकार ने दावा किया है कि लोग अस्पताल से चारों लोगों के शव जबरदस्ती ले गए।

ढाका ट्रिब्यून की खबर में परिजनों के हवाले से कहा गया है कि हिंसा के शिकार उनके सदस्यों का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। इसलिए उन्होंने उनका अंतिम संस्कार कर दिया। खबर में कहा गया है कि इन लोगों की मौत पर गुरुवार रात तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। इस हिंसा की वजह अवामी लीग और उसके प्रतिबंधित छात्र लीग के नेताओं और समर्थकों की नेशनल सिटीजन पार्टी (National Citizen Party) (NCP) की रैली पर हुए कथित हमले को ठहराने की कोशिश की गई है।

ढाका ट्रिब्यून ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा कि हमलावरों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इसमें कथित तौर पर चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतकों की पहचान रमजान काजी, सोहेल राणा, दीप्तो साहा और इमोन तालुकदार के रूप में हुई। पीड़ित परिवारों ने दावा किया कि पुलिस ने उन सभी की गोली मारकर हत्या कर दी। चारों पीड़ितों में से किसी का भी पोस्टमार्टम नहीं किया। इमोन को गुरुवार सुबह लगभग सात बजे गेतपारा स्थित नगरपालिका कब्रिस्तान (municipal cemetery) में दफनाया गया। सोहेल को भी लगभग उसी समय तुंगीपारा स्थित उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। रमजान काजी को बुधवार रात नमाज के बाद गेतपारा में दफना दिया गया। दीप्तो का अंतिम संस्कार रात को नगर निगम के श्मशान घाट पर किया गया।

इस बारे में गोपालगंज सामान्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जिबितेश बिस्वास (Gopalganj General Hospital Superintendent Dr. Jibitesh Biswas) का कहना है कि चारों के शव अस्पताल लाए गए थे, लेकिन उनका पोस्टमार्टम नहीं किया गया। परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि अस्पताल ने कोई मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी नहीं किया। ढाका रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक रेजाउल करीम मलिक ने स्वीकार किया कि शव परीक्षण नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हिंसा के सिलसिले में अब तक 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। जब उनसे पूछा गया कि पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? तो उन्होंने कोई सीधा जवाब न देते हुए कहा कि अधिकारी इस मामले को कानूनी प्रक्रिया के तहत लाएंगे और घटना पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी चल रही है।

इस बीच अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने मीडिया से एक पुलिस रिपोर्ट साझा की है। इसमें कहा गया है, ” अनियंत्रित भीड़ ने जिला अस्पताल में चारों शवों का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया। भीड़ जबरिया सभी शव अपने साथ ले गई।” इस सरकारी दावे की कलीम मुंशी के बयान ने धज्जियां उड़ा दी हैं। हिंसा में मारा गया रमजान उनका भतीजा है। कलीम मुंशी ने कहा कि उन्होंने एक वीडियो में देखा कि उनके भतीजे को गोली मार दी गई। हम लोग उसे अस्पताल ले गए, लेकिन बचा नहीं सके। इसके बाद हम शव को थाने ले गए। वहां थाने का प्रवेश द्वार बंद मिला। वहां से हम शव को पोस्टमार्टम के लिए वापस अस्पताल ले आए। अस्पताल के कर्मचारियों ने हमसे कहा इसे अभी घर ले जाओ। यहां परेशानी हो सकती है। इसलिए हम पोस्टमार्टम नहीं कर सके। जाहिदुल इस्लाम तालुकदार का कहना है कि उन्हें बुधवार दोपहर पता चला कि उनके भतीजे सोहेल की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। जब तक मैं पहुंचा उसका शव अस्पताल से घर लाया जा चुका था। शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था और हमें अस्पताल से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं मिला।