ढाका : (Dhaka) बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Bangladesh’s ousted Prime Minister Sheikh Hasina) को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 (आईसीटी-1) ने आज न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालने वाली टिप्पणी को लेकर अदालत की अवमानना के लिए छह महीने के कारावास की सजा सुनाई। जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मोजुमदार (Justice ustice Mohammad Ghulam Murtuza Mozumdar) की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने हसीना से संबंधित एक लीक फोन बातचीत की समीक्षा के बाद यह आदेश पारित किया।
दे डेली स्टार की आईसीटी-1 के आदेश संबंधी खबर के अनुसार, यह बातचीत पिछले साल सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई थी। इसे मुख्यधारा के कई मीडिया ग्रुप ने छापा या प्रसारित किया था। ऑडियो क्लिप में हसीना कथित तौर पर गोविंदगंज उपजिला के पूर्व अध्यक्ष शकील अकांदा बुलबुल (former Govindaganj upazila chairman Shakil Akanda Bulbul) से कहती सुनाई दे रही हैं, “मेरे खिलाफ 227 मामले दर्ज हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है।”
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 ने इस बयान को अपमानजनक और अदालत को कमजोर करने का सीधा प्रयास माना है। बुलबुल को बातचीत में उसकी भूमिका के लिए दो महीने की जेल की सजा सुनाई गई। आईसीटी-1 के सूत्रों के अनुसार, यह सजा तभी प्रभावी होगी जब दोषी अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे या कानून प्रवर्तन अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करेंगे।
आईसीटी के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम (ICT Chief Prosecutor Tajul Islam) ने इस मामले को 30 अप्रैल को न्यायाधिकरण के समक्ष उठाया था। उन्होंने इस बातचीत को पिछले साल जुलाई में हुए सामूहिक विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों से संबंधित चल रहे मुकदमों में पीड़ितों और गवाहों को डराने का प्रयास बताया था। ताजुल का कहना था कि अगर इस तरह की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे कानूनी कार्यवाही में बाधा आ सकती है।
ताजुल ने न्यायाधिकरण को बताया कि आपराधिक जांच विभाग (Criminal Investigation Department) (CID) ने फॉरेंसिक विश्लेषण किया है। इसमें पुष्टि हुई है कि ऑडियो में आवाज हसीना की ही है। न्यायाधिकरण ने 30 अप्रैल को ही हसीना और बुलबुल को 25 मई तक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इनमें से कोई भी 25 मई को अदालत में पेश नहीं हुआ और न ही तय तिथि पर कोई बयान दिया गया। इस पर न्यायाधिकरण के आदेश पर समाचार पत्रों में दोनों के खिलाफ समन प्रकाशित कराए गए।