देहरादून: (Dehradun) नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि मानसून सत्र की अवधि छोटा था फिर भी विपक्ष जनता की आवाज को पुरजोर तरीके से उठाया। सरकार विपक्ष के प्रश्नों का उचित और संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई।रविवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने पत्रकारों से बातचीत में सदन को कुशलता और निष्पक्षता से संचालित करने और कठोर निर्णय के लिए विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद करते हुए कहा कि सरकार मानसून सत्र को भी पिछले सत्रों की तरह बहुत ही कम चलाया। इसके बावजूद भी कांग्रेस विधानसभा के पटल पर राज्य की जनता की आवाज को पूरी तरह से बुलंद किया। मानसून सत्र के काल को बढ़ाने की हर मांग सरकार के सामने रखी परंतु सरकार ने सत्र नहीं बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि कार्य संचालन नियमावली के अनुसार साल के तीन सत्रों में कम से कम 60 दिन विधानसभा के सत्र चलाए जाने चाहिए थे। इस साल अभी हाल के मानसून सत्र सहित विधानसभा केवल 7 दिन चली है। गत साल भी विधानसभा केवल 8 दिनों के लिए ही चली थी।
सरकार का बिजनेस न होने का बहाना हास्यास्पद तर्क है। राज्य में अभी सैकड़ों कानून उत्तर प्रदेश के चल रहे हैं। हर दिन हम देखते हैं कि, राज्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए नए कानूनों की आवश्यकता है। फिर भी सरकार विधेयक नहीं लाती है। यही विधायी कार्य तो हाउस का बिजनेस होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार विधानसभा में महत्वपूर्ण विषयों पर विधेयक नहीं ला रही है। इस बार सदन में कांग्रेस की विधायक अनुपमा रावत व विधायक मनोज तिवारी बहुत ही महत्वपूर्ण विषयों पर दो असरकारी विधेयक लाए। विधायक अनुपमा रावत राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्य की सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का असरकारी बिल लगातार तीसरी बार लाई। यह कार्य सरकार को पहले ही करना चाहिए था।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के विधायकों ने प्रश्न काल का पूरा सदुपयोग किया। कांग्रेस विधायकों ने डेंगू, आपदा पीड़ितों के मुआवजे और पुर्नवास, स्मार्ट सिटी देहरादून पर खर्च हुई धनराशि , आवारा पशुओं के लिए गौसदन बनाने, बेमौसमी बारिश के कारण किसानों के नुकसान, गुड़ उत्पादकों को कुटीर उद्योगों में सम्मिलित करने, रवि और खरीफ की फसलों , गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को प्रधानमंत्री आवास दिलाने, गन्ना मूल्य का भुगतान संबंधित प्रश्नों में सरकार को बुरी तरह से घेरा। सरकार के पास विपक्ष के विधायकों के प्रश्नों के जवाब नहीं थे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मात्र दो दिन चले सदन में विपक्ष ने नियम 310 और 58 के अर्न्तगत राज्य में अतिक्रमण के नाम पर सरकारी विभागों द्वारा तबाही करने, आपदा , बेराजगारी , भू- कानून , कानून व्यवस्था , बिजली कटौती , जंगली जानवरों का आतंक, कलस्टर बना कर विद्यालयों को बंद करने के विषय में सरकार को घेरा।