धामी सरकार के समान नागरिक संहिता बिल की हैं तमाम खूबियां
देहरादून : (Dehradun) स्वतंत्र भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करने वाला राज्य बनने से उत्तराखंड चंद कदमों की दूरी पर खड़ा है। आज विधानसभा सत्र के दौरान सदन के पटल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने बिल प्रस्तुत कर दिया है। इस पर चर्चा के बाद इसे पारित किया जाना है। जिस तरह का प्रचंड संख्या बल धामी सरकार के पास है, उसमें इस बिल के पारित होने में कोई शक नहीं है। इन स्थितियों के बीच धामी सरकार के बिल का मसौदा अब सार्वजनिक हो चुका है। तमाम खूबियां इस बिल में शामिल हैं। इसकी सुंदरता इस बात में भी है कि यह भारतीय संस्कृति के अनुरूप विवाह संबंधों की मजबूती पर सबसे ज्यादा जोर देता है। इसके लिए कई ऐसे प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं, जो कि असाधारण हैं।
समान नागरिक संहिता का महत्व इसलिए तो है ही कि यह राज्य में रहने वाले सभी लोगों के लिए तमाम विषयों पर एक समान कानून की बात कर रहा है। इसके अलावा विवाह जैसी पवित्र संस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए कई उपाय भी सामने रख रहा है। विवाह की उम्र हर लड़के के लिए 21 और लड़की के लिए 18 तय की जा रही है। इसके अलावा छह माह के भीतर विवाह के पंजीकरण की व्यवस्था को अनिवार्य किया जा रहा है। ऐसा न होने पर जुर्माने की व्यवस्था की जा रही है। अहम बात बिल से जुड़ी यह है कि विवाह विच्छेद के लिए साधारण स्थिति में एक वर्ष तक याचिका ही स्वीकार नहीं की जाएगी। असाधारण स्थिति में ही इसे स्वीकार किया जाएगा। सरकार की मंशा ये ही है कि आज-कल जल्द जल्दी विवाह टूटने की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उन पर रोक लग सके।
विवाह संबंधों की मजबूती की राह में लिव इन रिलेशनशिप के बढ़ते चलन के कारण जो दिक्कतें पेश आ रही है, बिल में उस पर गंभीरता दिखाते हुए कई अहम उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया जा रहा है। इस तरह के संबंधों में जन्म लेने वाले बच्चे को वैध माना जाएगा। पंजीकरण से पहले यह देखा जाएगा कि युगल में कोई पहले से विवाहित तो नहीं है या फिर अवयस्क तो नहीं है।
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल में से कोई भी यदि 21 वर्ष की उम्र से छोटा होगा, तो उसके अभिभावकों को सूचित करना आवश्यक होगा। इसके अलावा, लिव इन रिलेशनशिप में एक महीने रहने के बावजूद पंजीकरण न कराने वाले के लिए तीन महीने की जेल या फिर दस हजार के जुर्माने की व्यवस्था की जा रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि लिव इन रिलेशनशिप खत्म होने की स्थिति में बकाया इसका भी प्रमाणपत्र लेना होगा। इस तरह के संबंधों में यदि महिला को छोड़ा जाता है और उस पर भरण पोषण का कोई इंतजाम नहीं है, तो पुरुष को उसके भरण पोषण की व्यवस्था करनी होगी।