देहरादून: (Dehradun) उत्तराखंड आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण सहित अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद सहित विभिन्न दलों ने सचिवालय कूच कर मुख्यमंत्री के पीआरओ राजेश सेठी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
बुधवार को उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड महिला मंच, जनवादी महिला समिति, नेताजी संघर्ष समिति, उत्तराखंड किसान सभा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तराखंड कर्मचारी आंदोलनकारी संगठन, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड चिन्हित आंदोलनकारी संगठन, दिशा सामाजिक संस्था के पदाधिकारी परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए, जहां से उन्होंने सचिवालय के लिए कूच किया। वह लोग जब सचिवालय के समीप पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उनको रोक दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री के पीआरओ राजेश सेठी उनके बीच पहुंचे, जिनके माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
ज्ञापन में उन्होंने कहा कि राज्य को बने हुए लगभग 23 वर्ष होने को हैं उत्तराखंड के लोग वह आंदोलनकारी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। राज्य गठन के बाद कुछ मुट्ठी भर भू माफिया, शराब माफिया, नकल माफिया, खनन माफिया ऑन आदि ने एक गिरोह संगठन बनाकर उत्तराखंड राज्य का बे हिसाब दोहन किया है तथा खनिज संसाधनों पर अपना कब्जा कर लिया है और स्वयं को रुपए का मुनाफा प्राप्त किया है। उन्होंने मांग की है कि उत्तराखंड आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण शीघ्र पूरा हो और जिसमें छूटे हुए आंदोलनकारी का चिह्नीकरण शीघ्र किया जाए।
उन्होंने कहा कि पेंशन पट्टा सभी आंदोलनकारियों को समान पेंशन 15000 तथा पेंशन पट्टा प्रदान किया जाए। सभी आंदोलनकारी को एक समान पेंशन दी जाए। हिमाचल की तर्ज पर धारा 371 उत्तराखंड राज्य में लागू की जाए सब आंदोलनकारी सरकार से मांग करते हैं की उत्तराखंड के लिए एक सशक्त भू कानून जल्द से जल्द बनाया जाए। इस भू कानून को सख्ती से लागू किया जाए। इसके साथ ही हम सब आंदोलनकारी सरकार से वह मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि मूल निवास वर्ष 1950 के आधार पर लागू किया जाए जो उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार है। 15 साल का अस्थाई निवास प्रमाण पत्र व्यवस्था अवैध है, जिसे तुरंत समाप्त किया जाए।