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Homesceinceरक्षा विज्ञान और तकनीकी: स्वचालित बंदूक के आयाम

रक्षा विज्ञान और तकनीकी: स्वचालित बंदूक के आयाम

https://youtu.be/teECQKHDpxo

बंदूकों की संरचना, कार्य करने की विधि, उनके गुण धर्म, भारतीय बंदूकें, उनकी घातकता आदि के बारे में जानने के बाद, इस श्रृंखला में स्वचालित बंदूकों पर चर्चा की जा रही है. स्वचालित बंदूकों (Automatic Guns) में विशेष व्यवस्था की जरुरत पड़ती है, जिससे गोली
चलाने पर एक गोली निकालने के बाद अगली गोली खुद ब खुद दागने (Firing Position) की स्थिति में आ जाए। यह स्वभरण (Self-loading) वाली बंदूकों के लिए सही है। साथ ही घोड़ा (Trigger) दबाने के बाद बंदूक की कमानी (Spring) अपने आप अगर दबाब (Compressed) की स्थिति में आ जाए, जिससे अगली गोली दागी जा सके, तो इसे स्वचालित बंदूक कहते है। वास्तव में बंदूक के इंधन (Propellant) के ज्वलन (Combustion) से उत्पन्न आधी से भी कम ऊर्जा (Energy) का उपयोग गोली के निकास में होता है| बाकी ऊर्जा
बेकार (Waste) हो जाती है| अगर इस ऊर्जा का प्रयोग बंदूक की अन्य प्रणालियों (Systems) को चलाने के लिए हो, तो प्रयोग (practice) के आधार पर स्वचालित बंदूक की कई किस्में बन सकती है।

ऊर्जा स्थानान्तरण (Energy Transfer)

कुछ बंदूकों में नली चलायमान (moving Barrel) होती है, कुछ में ब्रीच सिरे पर लगा बोल्ट (Bolt at Breech end)। ईंधन ज्वलन से प्राप्त गैस (Combustion gas) की ऊर्जा दोनों में से किसी की भी गति को अन्य प्रणालियों के कार्यान्वयन (Activity) के लिए उपयोग में ला सकती है। कभी कभी गैस को एक दूसरे कक्ष (separate Chamber) में विस्तारित कर भी ऊर्जा का सार्थक प्रयोग संभव है। बंदूक की गोली को चलाने में लगा समय माइक्रोसेकेंड होता है, इसलिए गैस की ऊर्जा को संग्रहित (Storage of energy) करने के लिए हाईड्रालिक, न्यूमैटिक या फ्लाई व्हील का सहारा लिया जाता है। बंदूक चलाने के लिए कमानी में दबाव पैदा करना एक आवश्यकता है, जिसके लिए कई विधियां हो सकती है। स्वचालित बंदूकों से की जाने वाली कुछ अपेक्षाएं ऐसी है – अगले कारतूस भरने के लिए खाली कारतूस (Balnk cartridge case) का नली से स्वनिष्काशन (Self-ejection), ज़िंदा कारतूस (Live bullet) की दागने वाली स्थिति (Firing position) में लाना, ज़िंदा कारतूस के संवेदनशील रसायन वाले भाग (Sensitive chemical) पर आघात के लिए कमानी (Spring) में पर्याप्त दबाब की व्यवस्था करना, आघात करने वाले भाग (Striker) को कारतूस के दाब संवेदी स्थान के सामने लाना, आदि| बंदूकों में ऊर्जा स्थानान्तरण की आयामों में चार प्रणालियां आ सकती है|

पश्चगामी गति (Recoil motion)

पहली है पीछे की ओर गति देने वाली प्रणाली (Recoil System) की ऊर्जा। जब बंदूक की गोली आगे निकलती है, तो बंदूक पर प्रतिक्रया स्वरूप पीछे की ओर झटका (Shock) लगता है। इसके झटके में निहित ऊर्जा का पयोग बंदूकों को स्वचालित बनाने में हो सकता है। इसी तरह बंदूकों में नली या बोल्ट दोनों में से एक को प्रतिक्रिया के फलस्वरूप पीछे जाने के लिए बनाया जा सकता है। अगर नली पीछे जाती है, तो इसे लम्बी प्रतिक्रिया (Long Recoil) या छोटी त्वरित प्रतिक्रिया (Small fast recoil) के लिए बनाया जा सकता है। नली के पीछे जाने का अर्थ है कि नली और बोल्ट मिलकर एक अभिन्न भाग (Integral part) बनाते है, जो हथियार के सापेक्ष पीछे (Relative backward) की ओर जाते है। इसी तरह अगर बोल्ट पीछे जाता है तो सीधे पीछे की ओर झटका देने या प्रत्यक्ष झटका देने के लिए इसे अभिकल्पित (Design) किया जा सकता है। एक दूसरी प्रणाली में इसे अप्रत्यक्ष झटका (Indirect shock) देने में सक्षम भी बनाया जा सकता है। इसतरह की प्रणाली में बोल्ट नली का अभिन्न हिस्सा नहीं होता है (Bolt independent of Barrel)। जब गोली चलती है तो बोल्ट पीछे से खुलता है और खाली कारतूस उसमें से बाहर निकल जाता है। नया कारतूस उसी दौरान उसमें भर जाता है। इसमें बोल्ट एक कमानी द्वारा अपने स्थान पर रहता है, जो गोली बाहर निकालने के बाद बोल्ट को थोड़ी देर के लिए थोड़ा खोल देता है। कम दबाब वाली (Small operating pressure) पिस्तौल और मशीन कारबाईन में जहां गैस का रिसाव (Leakage of Gas) महत्त्वपूर्ण नहीं होता है, वहां इनका प्रयोग किया जाता है। एक और व्यवस्था सोची जा सकती है, जिसमें पूरी बन्दूक ही पीछे की ओर जाती है और इस ऊर्जा का उपयोग बंदूक को स्वचालित बनाने के लिए किया जाता है।

गैस ऊर्जा (Gas Eenrgy)

बंदूक की गोली को जब चलाया जाता है, तो घोडा दबाने पर उसमें भरा नोदक या ईंधन जलकर गैस पैदा करता है, जिसके दाब से गोली आगे जाती है। इस गैस के दाब में गोली को गति देने के बाद भी काफी ऊर्जा बची रहती है,जिसका उपयोग, बंदूक को स्वचालित बनाने के लिए हो सकता है।

ये गैस बंदूक की नली के मजल (Muzzle) पर लगे संयंत्रों पर काम कर सकती है। इसी तरह पिस्टन पर आधारित (Piston based) नली के समानान्तर (Parallel) एक अलग नली लगाई जा सकती है। इसमें पिस्टन आगे जा सकता है, पीछे जा सकता है या दोनों दिशा में गति कर सकता है। गैस का प्रयोग बहुत सी स्वचालित बन्दूकों में होता है। नली के समानांतर लगी गैस नली में जाकर गैस एक पिस्टन को आगे या पीछे ले जाता है, जो बोल्ट से जुड़ा लगता है। इससे ही बोल्ट खुलता है और खाली कारतूस निकलकर नई गोली भर जाती है।

अन्य प्रणालियां

बन्दूक की गोली के स्वभरण प्रणाली में नली में लगी राईफलिंग (Rifling) का भी उपयोग होता है। गोली जब नली में आगे की ओर जाती है, तो नली को घर्षण (Friction) के कारण आगे की ओर ले जा सकती है। ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि जब गोली आगे की ओर
गतिमान हो तब नली भी आगे चले और बोल्ट से नली अलग होकर अगली गोली भरने में मदद करे। इसी तरह ऐसी व्यवस्था भी की जा सकती है, जिसमें ऊर्जा स्थानान्तरण, पश्चगामी गति और गैस दाब का उपयोग मिलकर किया जाए। कुल मिलाकरण स्वचालित बंदूक में स्वभरण की व्यवस्था कई तरह से की जा सकती है। बंदूक के घोड़े का पिछली गोली की अवशिष्ट ऊर्जा (Residual energy) से अगली गोली दागने के लिए खुद तैयार होना और उसकी कमानी में दाब उत्पन्न करना एक आवश्यकता है। इसमें गोली चलाने के लिए बार बार घोड़ा दबाना, घोड़ा दबाए रखने पर लगातार गोली का निकास, या घोड़ा दबाने पर एक साथ कई गोलियां निकलना ऐसी कई जरूरतों को पूरा करने के लिए संयंत्र लगाए जा सकते है।
धन्यवाद।

लेखक परिचय

डॉ हिमांशु शेखर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, एक अभियंता हैं,
प्राक्षेपिकी एवं संरचनात्मक दृढ़ता के विशेषज्ञ हैं,
प्रारूपण और संरूपण के अच्छे जानकार हैं,
युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित हैं, गणित में
गहरी अभिरुचि रखते हैं, ज्ञान वितरण में रूचि रखते
हैं, एक प्रख्यात हिंदी प्रेमी हैं, हिंदी में 13 पुस्तकों के लेखक हैं,
एक ई-पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं, राजभाषा
पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित हैं, हिंदी में कविताएं और
तकनीकी लेखन भी करते हैं, रक्षा अनुसंधान में रूचि
रखते हैं, IIT कानपुर और MIT मुजफ्फरपुर के विद्यार्थी
रहें हैं, बैडमिन्टन खेलते हैं|

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