Chennai : द्रमुक सांसद टीआर बालू के ‘अयोध्या’ टिप्पणी की तेलंगाना के राज्यपाल ने की कड़ी आलोचना

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चेन्नई : तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने द्रमुक सांसद टीआर बालू के बयान पर सवाल उठाए। राज्यपाल महोदय ने अयोध्या में रामलला के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के आह्वान को राजनीतिक घटना कहने तथा कार्यक्रम का निमंत्रण अस्वीकार करने के लिए द्रमुक नेताओं की आलोचना की। साथ ही उन्होंने द्रमुक पर इस अवसर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।

राजपाल ने प्रश्न किया कि कौन इसका राजनीतिकरण कर रहा है? कौन इसमें भाग ले रहा है या कौन नहीं भाग ले रहा हैं? वे उपस्थित क्यों नहीं हो रहे हैं? अगर उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक उत्सव है तो उन्हें भी वहां पहुंचना चाहिए। आमंत्रण के बावजूद वे शामिल नहीं हो रहे हैं तो किसी पर अवसर का लाभ उठाने का आरोप लगाना सही नहीं है। यह कार्यक्रम भगवान के पूजा पाठ और उसे संबंधित त्यौहार है।

राज्यपाल तमिलिसाई ने कहा, यह हर व्यक्ति के लिए अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा एक लंबा सपना था, जो आज वह पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा “हमारे प्रधानमंत्री वही कर रहे हैं जैसे कि सभी तमिल राजाओं और सम्राटों ने तमिलनाडु में मंदिर निर्माण करके पूजा पाठ किया। मंदिर भले ही मंदिर पुजारियों द्वारा बनाया गया हो लेकिन राजा तो राजा ही होता है और उसका जश्न मनाना ही चाहिए।”

उसने कहा, “उन्होंने सबसे पहले इस उत्सव को आगे बढ़ाया और उसमें ‘कुंभाभिषेकम’ की शुरुआत की गई।” जब इस प्रकार के कार्यक्रम तमिल संस्कृति में रहे हैं तो उन्हें आपत्ति कैसे हो सकती है? कार्यक्रम में शामिल हो रहे प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियों को कैसे राजनीतिकरण कहा जा सकता है।”

इससे पहले, रविवार को द्रमुक सांसद ने ‘प्राण प्रतिष्ठा’ पर विचार व्यक्त करते हुए इसे आध्यात्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक कार्यक्रम बताया था। उन्होंने भाजपा पर मंदिर निर्माण का इस्तेमाल ध्यान भटकाने के लिए करने का आरोप लगाया। द्रमुक नेता ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से अपने अधूरे वादों पर ध्यान देना चाहिए। भाजपा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए और ध्यान भटकाने के लिए राम मंदिर निर्माण को अपना बता रही है, और इसे उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बताने में लगी है।

सांसद बालू ने धर्मनिरपेक्षता पर द्रमुक के रुख और खुद को इससे अलग करने पर जोर दिया और कहा कि आध्यात्मिक आयोजनों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ”द्रमुक का भारतीय संविधान में गहरा विश्वास है, धर्मनिरपेक्षता के बारे में ही बात की जाती है। द्रमुक कभी भी लाभ पाने के लिए राजनीति को अध्यात्मवाद के साथ नहीं जोड़ती है। राजनीतिक कारणों और वोट बैंक के लिए भक्ति का प्रयोग करना विरुद्ध है। द्रमुक सांसद ने कहा कि भारत की संप्रभुता और संविधान हमारे लिए महान है और देश उसके मापदंडों पर देश को चलाया जाना चाहिए।