हरियाणा सरकार ने डॉक्टरों की दो मांगें मानी
अन्य मांगों पर स्वास्थ्य मंत्री के साथ होगी बैठक
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार और प्रदेश के डॉक्टरों के बीच चल रहा विवाद सुलझ गया है। सोमवार को चंडीगढ़ में कई घंटे तक चली बैठक के बाद दो मांगों पर सहमति बन गई है और अन्य मांगों के लिए दोबारा स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में बैठक होगी।
सोमवार को हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के पदाधिकारियों की स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा के साथ बैठक हुई जिसमें स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आर.एस. पूनिया के अलावा अन्य कई अधिकारी भी मौजूद रहे। आज हुई बैठक के बाद डॉक्टरों ने फिलहाल हड़ताल के कार्यक्रम को टाल दिया है।
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के बैनर तले डॉक्टर पिछले कई माह से संघर्ष कर रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा 27 व 29 दिसंबर को हड़ताल की जा चुकी है। 29 दिसंबर की रात हुई बैठक के बाद आज स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और वित्त सचिव अनुराग रस्तोगी शामिल नहीं हो सके।
करीब ढाई घंटे चली बैठक में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सचिव जी अनुपमा ने कहा कि पीजी की बांड राशि एक करोड़ से घटाकर 50 लाख रुपये कर दी जाएगी। इसके अलावा एसएमओ की सीधी भर्ती नहीं होगी जिसके लिए सर्विस रूल्स में संशोधन पर विचार किया जाएगा। एसीपी पर विचार के लिए दो-तीन दिन में फिर अनिल विज के साथ डाक्टरों की बैठक कराई जाएगी।
बैठक में बताया गया कि मामला अभी भी एसीएस (वित्त) के पास लंबित है। एसोसिएशन के राज्य प्रधान डॉ. राजेश ख्यालिया और महासचिव डॉ. अनिल यादव ने बताया कि पीजी बांड राशि के संबंध में स्वास्थ्य सचिव ने बैंक गारंटी की शर्त को हटाने के साथ बांड राशि को आधा करने की बात कही है। पोस्ट डेटेड चेक स्वीकार करने का प्रस्ताव पहले से ही सरकार के विचाराधीन है। इसी तरह एसएमओ की सीधी भर्ती को रोकने के लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा। स्पेशलिस्ट काडर से संबंधित फाइल को मंजूरी दी जा चुकी है। आगे की प्रक्रिया के लिए मुख्यमंत्री द्वारा एसीएस (स्वास्थ्य) कार्यालय को वापस भेज दिया गया है। सेवारत विशेषज्ञों की वरिष्ठता के मुद्दे पर भी मंथन चल रहा है।