आयुष विभाग की ओर से हर्बल पार्क बनाने पर दी जाएगी 25 हजार की वित्तीय सहायता
चंडीगढ़ : प्रदेश के राजकीय स्कूल औषधीय पौधों की सुगंध से महकेंगे। विद्यार्थियों को प्रकृति व हरियाली से जोड़ने के लिए स्कूलों में हर्बल पार्क स्थापित होंगे। इन पार्कों में औषधीय पौधों के साथ अन्य प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे।
हर्बल पार्क के जरिये विद्यालयों के सौंदर्यीकरण को बढ़ाने के साथ विद्यार्थियों को दैनिक उपयोग में लाई जाने वाली औषधियों से परिचित कराया जाएगा। इन पार्कों में औषधीय महत्व वाली वनस्पतियां विकसित करके विद्यार्थियों को उनकी पहचान कराई जाएगी। शिक्षा निदेशालय द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आयुष विभाग के निर्देशानुसार रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन को लेकर औषधीय पौधों की महत्ता के प्रति विद्यार्थियों को अवगत कराया जाएगा। जो विद्यालय हर्बल गार्डन स्थापित करेंगे उन्हें आयुष विभाग की ओर से वित्तीय सहायता दी जाएगी। शिक्षा निदेशालय द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि विद्यालय में वृक्ष प्रजातियों सहित औषधीय पौधों की 10 से 15 प्रजातियों के लिए 500 वर्ग मीटर या इससे अधिक प्लाट किसी विद्यालय में है तो वह आवेदन कर सकते हैं।
शिक्षक और विद्यार्थी रखेंगे हर्बल पार्क का रख-रखाव
शिक्षा निदेशालय की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि हर्बल पार्क का रखरखाव के लिए विद्यालय जिम्मेदार होंगे। शिक्षक व विद्यार्थियों के साथ अभिभावक-शिक्षक संघ व एनजीओ की भागीदारी रहेगी। इसके साथ ही स्कूल की छुटि्टयों के साथ रखरखाव की विशेष व्यवस्था की जाएगी। विद्यार्थियों को पौधों को लेबल करने, पानी देने, निराई व गुड़ाई की जाएगी, जिससे उनके द्वारा पोषित प्रजातियों के लाभों और उपयोग के बारे में विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ेगा।
500 वर्ग मीटर पर 25 हजार की आर्थिक सहायता
हर्बल गार्डन के लिए स्कूलों को आयुष विभाग की ओर से वित्तीय सहायता दी जाएगी। 500 वर्ग मीटर के लिए प्रति विद्यालय 25 हजार रुपये की दर से वित्तीय सहायता दी जाएगी। स्थापना के लिए प्रथम वर्ष और अगले चार वर्षों के लिए रखरखाव लागत के तौर पर प्रति विद्यालय सात हजार रुपये दिए जाएंगे।
लगाए जाएंगे ये पौधे
तुलसी, आंवला, अश्वगंधा, सतवरी, गुडमर, गुग्गल, कलीहरी, मलमेघा, पीपली, गंधा, पिपरमिंट, चित्रक, नीम, नागेश्वर समेत कई अन्य प्रकार के पौधे लगाए जाएंगे जिन्हें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है। विद्यालय मुखियाओं को निर्देश दिए गए हैं कि हर्बल गार्डन स्थापित करने का प्रस्ताव आयुष विभाग को भेजा जाए।