बिलासपुर : (Bilaspur)नान घोटाले में संलिप्तता और ईडी की कार्रवाई के बाद हाई कोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने गुरुवार काे अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। दो महीने बाद आज फैसला आया है।
नान घोटाले की एसीबी जांच को आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के साथ मिलकर प्रभावित करने और साक्ष्यों को प्रभावित करने के मामले में एसीबी ने पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। पूर्व महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई थी। सुनवाई के बाद जस्टिस अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। दो महीने बाद जस्टिस अग्रवाल ने फैसला सुनाते हुए अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आयकर विभाग ने जांच के दौरान जरुरी डिजिटल साक्ष्य हासिल किया था। आईएएस अनिल टूटेजा,आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता के बीच वाट्सएप पर हुए चैटिंग व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे जिससे यह साबित हो रहा था कि आईएएस टूटेजा व अनिल शुक्ला के साथ मिलकर पूर्व महाधिवक्ता घोटाले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
आईटी ने जरुरी दस्तावेज ईडी को सौंप दिया था। ईडी ने इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। एफआईआर दर्ज करने के बाद संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए पूर्व महाधिवक्ता ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। दो महीने गुरुवार को उन्होंने अपना फैसला सुनाया है। जारी आदेश में कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। इस न्यायालय ने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है तथा केवल इस प्रश्न पर विचार किया है कि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दी जा सकती है या नहीं। इस आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी मामले के गुण-दोष को प्रभावित नहीं करेगी।