BHIWANDI : भिवंडी शहर में तेजी से बढ़ा औद्योगिक प्रदूषण

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कोयला हुआ महंगा, वायलर में हो रहा है लकड़ी का इस्तेमाल

भिवंडी : कोरोना महामारी के बाद मंदी की मार से भिवंडी के व्यापारी पूरी तरह बेहाल है।आलम यह है कि कंपनियों में लगाने वाले मटेरियलो का भाव तीन गुना बढ़ गया है।जिसके कारण व्यापारियों की हालत पतली हो गई है। नतीजन कंपनियों में सस्ते मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनियों में लगे बॉयलरों में महंगे कोयले की जगह लकड़ी व कचरा जलाया जा रहा है।जिसके प्रदूषण से शहर में टी वी जैसी प्राणघातक बीमारियों की चपेट में लोग फंस रहे है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों की लापरवाही और हफ्ता खोरी के कारण भिवंडी शहर में औद्योगिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। शहर के अधिकांश साइजिंग, डाइंग तथा यार्न डाइंग कारखानों में लगे बॉयलरो में प्रतिबंधित गंदा कचरा के साथ ही लकड़ी जलाया जा रहा है, जिसके कारण शहर में टीबी, दमा, खाज खसरा जैसी बीमारियां तेजी से पैर पसार रही है।बीमारियां फैलाने वाली कंपनियों पर कार्यवाई की मांग के बावजूद संबंधित अधिकारी उदासीन बने बैठे है। गौरतलब हो एशिया की सबसे बड़ी पावरलूम नगरी भिवंडी में तकरीबन 150 चिमनी वाली कंपनियां हैं। जिनमें साइजिंग, डाइंग, यार्नडाइंग, प्लास्टिक की मोती बनाने वाले कारखाने शामिल हैं, जिनमें स्टीम बनाने के लिए बायलर का प्रयोग होता है।

प्रदूषण से शहर में टीवी,दमा के मरीजों में हो रहा इजाफा
ब्वॉयलर में स्टीम बनाने के लिए कोयला जलाने का परमिशन दिया गया है, लेकिन अधिकांश कंपनियों के बायलरो में कोयले की जगह लकड़ी तथा कई कंपनियों में शहर का प्रतिबंधित गंदा कचरा जैसे पुराने जूते चप्पल, रबर के टायर, कपड़े के बेस्टेज,पुराने प्लास्टिक के समान आदि जलाए जाते हैं।साथ ही इन दिनों कचरों से तैयार किया गया गट्टू नामक सस्ता कचरा भी बॉयलरों में जलाया जा रहा है।जानकारों का कहना है कि इन कारखानों के बॉयलरो में प्रतिबंधित कचरा जलाने से उनकी चिमनीओ से निकलने वाला धुआं बेहद जहरीला होता है, जिसके कारण शहर में तेजी से प्रदूषण फैल रहा है ।जिससे नागरिकों में टीबी ,दमा, खाज ,खसरा, पीलिया ,आंख की बीमारी तथा फेफड़ा संबंधित अनेक बीमारियां फैल रही है। शहर की फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से आंख, चमड़ी तथा फेफड़े के रोग और टीवी तेजी से बढ़ रहा है।सूत्र बताते है कि हर साल यह पर सात हजार नए टी बी के मरीज पैदा हो रहे है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस संदर्भ में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय कार्यालय, कल्याण में इस संदर्भ में कई शिकायतें भेजी जा चुकी हैं। जिसके बाद संबंधित अधिकारी आकर कारखानों के मालिकों से मिलकर केवल उन्हें नोटिस देकर मामले का सेटलमेंट करते हैं, और हफ्ता वसूल कर मामले को दबा देते हैं। इस तरह के उद्योगों पर मनपा प्रशासन व महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल गंभीर नहीं है। नागरिकों ने मांग की है कि मनपा प्रशासन के संबंधित विभाग और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच कर इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।