बेगूसराय: (Begusarai) राष्ट्रवादी विचारक और राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा राजनीतिक बात नहीं है। हिंदू राष्ट्र भारत देश का विशेषण है। भारत की सभ्यता और संस्कृति को हिंदू राष्ट्र के रूप में ही अभिव्यक्त किया जा सकता है।शुक्रवार को बेगूसराय में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम के संत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री हिंदू राष्ट्र की बात कहते हैं। उनकी यह बात बिल्कुल जायज है। हिंदू राष्ट्र सांप्रदायिक अवधारणा नहीं है, यह धार्मिक अवधारणा नहीं है। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, याज्ञवल्क्य को हटा दें, तो भारत में क्या बचेगा।
आरूणी और नचिकेता की कथा को हटा दें तो क्या रहेगा। इन सब को मजबूत हिंदू राष्ट्र ही करता है। हिंदू राष्ट्र किसी धर्म और संप्रदाय के लोगों के साथ भेदभाव या दोहरा व्यवहार नहीं है। बाबा बागेश्वर ने नौबतपुर में आयोजित कार्यक्रम में पागलों शब्द का उपयोग सकारात्मक रूप से किया है।गैरजरूरी विवाद में बिहार को नहीं पड़ना है। बिहार का एक ही लक्ष्य हो विकास। आखिर बिहार सभी राज्यों से पिछड़ा क्यों है। जीडीपी में 14वें स्थान पर क्यों है, पहले स्थान पर क्यों नहीं है, यह चुनौती है। अपनी समग्र दृष्टि, अपने संकल्प के साथ, विजन और संसाधन के साथ बिहार को देश का पहला राज्य बनना चाहिए। उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से आगे ले जाने संकल्प सबको लेनी चाहिए।
राकेश सिन्हा ने कहा कि धर्म और राजनीति को नहीं जोड़ना चाहिए। भारत अध्यात्म केंद्रित देश है, अध्यात्म के अलग-अलग रूप रंग होते हैं। जिनको मन है किसी बाबा के पास जाएं, जिनको मन नहीं है वह नहीं जाएं। लेकिन किसी को दूसरे का विरोध करने का अधिकार नहीं है। जो लोग बागेश्वर धाम के संत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का विरोध करते हैं, वह मजलिस का विरोध क्यों नहीं करते हैं।बागेश्वर बाबा के पास जाएं या ना जाएं यह उनका मन है। इस देश में नास्तिक और आस्तिक दोनों के लिए जगह है। 1931 के जनगणना में नौ सौ लोगों ने लिखाया था कि वे नास्तिक हैं। जिस देश में सबको समान अधिकार और सम्मान प्राप्त है, वहां तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होनी चाहिए।



