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Begusarai: हृदय में छिद्र वाले 12 बच्चों को बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भेजा गया हृदय रोग संस्थान

बेगूसराय: (Begusarai) राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जांच में हृदय रोग से ग्रसित पाए गए 12 बच्चों को आज विश्व हृदय दिवस पर पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में प्रथम चरण के जांच के लिए भेजा गया है। जहां सभी का इको टेस्ट किया जा रहा है। उसके बाद सभी बच्चों का ऑपरेशन अलग-अलग तिथि में किया जाएगा।

भेजे गए बच्चों में एक माह से लेकर तीन साल तक के बच्चे हैं। जिनको अलग-अलग प्रखंडों में कार्यरत चलंत चिकित्सा दल द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र पर जांच की गई थी। जांच के दौरान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक द्वारा हृदय रोग से ग्रसित होने की संभावना व्यक्त की गई। इसके बाद सभी दल द्वारा उन सभी बच्चों को जिला अस्पताल भेजा गया।

जहां शिशु रोग विशेषज्ञ के जांच में पुष्टि हुई की सभी बच्चों के हृदय में छिद्र हैं। इन्हें तत्काल बड़े संस्था में इलाज की जरूरत है। उसके बाद सभी बच्चों का आज पटना में जांच करवाया जा रहा है। आगामी माह में सभी बच्चों का ऑपरेशन किया जाएगा। सभी बच्चों को सदर अस्पताल प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराए गए तीन एंबुलेंस से अपने-अपने अभिभावक के साथ पटना भेजा गया।

जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. संजय सिंह ने बताया कि यह एक गंभीर बीमारी है। इसे जितना जल्द पहचान कर इलाज कराया जाए, उतना ही जल्दी लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि जिले में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों द्वारा आंगनवाड़ी एवं विद्यालयों में जांच कर अर्ली डिटेक्शन की जाती है। जिसके तहत अभी तक 63 बच्चों को नई जिंदगी प्रदान की जा चुकी है।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. गोपाल मिश्रा ने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए प्रत्येक वर्ष 30 से ऊपर उम्र वालों को कम से कम साल में एक बार अपना संपूर्ण जांच करना चाहिए। जिससे अगर किसी भी प्रकार की हृदय रोग संबंधित बीमारियों की संभावना हो तो उसे दूर जल्द से जल्द किया जा सके। बच्चों के लिए हमारी टीम पूरी तत्परता से कार्य कर रही है।

कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी ने बताया गया कि जिले में इस रोग से बचाव करने के लिए 24 चलंत चिकित्सा दल कार्यरत हैं। जो बच्चों को नई जीवन प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिला समन्वयक डॉ. रतीश रमन ने बताया कि जिले में कई बच्चों के अभिभावक पैसे के अभाव में इसका इलाज नहीं करवा पाते हैं। जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य का कार्यक्रम के तहत बाल हृदय योजना शुरु की गई तो 63 घरों में नई जिंदगी की किलकारियां गूंज चुकी है।

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