
सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की:राहुल गांधी
अकोला: (Akola) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और कारागार में रहने के दौरान उन्होंने माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी और अन्य समकालीन भारतीय नेताओं को धोखा दिया था।राहुल गांधी ने गत मंगलवार को भी वाशिम जिले में आयोजित एक रैली में हिंदुत्व विचारक सावरकर पर निशाना साधा था। इसके बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा था कि वह स्वतंत्रता सेनानी के बारे में पूरी तरह झूठ बोल रहे हैं।वहींराहुल गांधी द्वारा हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की आलोचना करने के दो दिन बाद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि वह कांग्रेस नेता की टिप्पणी का समर्थन नहीं करते हैं। ठाकरे ने कहा कि वह सावरकर का बहुत सम्मान करते हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि हमारे मन में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के लिए बहुत सम्मान और विश्वास है। इसे मिटाया नहीं जा सकता। राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को विनायक सावरकर के माफीनामे की एक प्रति दिखाते हुए एक बार फिर से निशाना साधा। उन्होंने दावा किया,सावरकर जी ने अंग्रेजों की मदद की। उन्होंने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कहा-सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं।राहुल गांधी ने यह भी कहा,जब सावरकर जी ने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए तो उसका कारण डर था। अगर वह डरते नहीं तो वह कभी हस्ताक्षर नहीं करते। इससे उन्होंने महात्मा गांधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा किया।उन्होंने कहा कि देश में एक तरफ महात्मा गांधी की विचारधारा है और दूसरी सावरकर से जुड़ी विचारधारा है।इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे कांग्रेस नेता ने यहां संवाददाताओं से कहा, भारत में पिछले आठ साल से डर का माहौल है। नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। शायद भाजपा के नेता किसानों और युवाओं से बात नहीं करते। अगर वो बात करते तो पता चलता कि युवाओं और किसानों को आगे रास्ता नजर नहीं आ रहा है। इस माहौल के खिलाफ खड़े होने के लिए हमने यह यात्रा शुरू की है।
आमतौर पर लोकतंत्र में एक राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल से लड़ता है
राहुल गांधी ने कहा, अगर लोगों को लगता कि इस यात्रा की जरूरत नहीं है तो वो लाखों की संख्या में बाहर नहीं निकलते।कांग्रेस नेता ने दावा किया, आमतौर पर लोकतंत्र में एक राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल से लड़ता है। संस्थाएं इस लड़ाई के मैदान में निष्पक्षता कायम रखती हैं। आज ऐसा नहीं है। आज एक तरफ देश की सभी संस्थाएं खड़ी हैं। भाजपा का मीडिया, संस्थाओं पर नियंत्रण है। न्यायपालिका पर दबाव डाला जाता है।उनका कहना था, हमने यात्रा इसलिए शुरू की है क्योंकि विपक्ष के सामने कोई रास्ता नहीं बचा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह 2024 में विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे तो राहुल गांधी ने कहा, यह ध्यान भटकाने का बहुत अच्छा तरीका है। इस सवाल के बारे में सोचा नहीं हैं। हमने यात्रा शुरू की है, हम कश्मीर तक जाएंगे और तिरंगा लहराएंगे।
यात्रा के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं ज्योतिषी नहीं हूं, हालांकि इसका सकारात्मक असर होगा। राहुल गांधी ने कहा, महाराष्ट्र में पार्टी की स्थिति कमजोर नहीं है। सबसे अच्छी प्रतिक्रिया महाराष्ट्र में मिली है। यहां पर कांग्रेस का डीएनए है। इस यात्रा का सकारात्मक असर होगा।भाजपा के एक नेता के बयान में बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, अगर सरकार को लगता है कि यात्रा से देश को नुकसान हो रहा है तो भारत जोड़ो यात्रा को रोक दे। उन्होंने कहा कि विदर्भ के किसानों को सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है। गुजरात में चुनाव प्रचार के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कहेंगे तो वह जरूर जाएंगे।
सावरकर के बारे में राहुल गांधी ने जो कहा, हम सहमत नहीं: उद्धव ठाकरे
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की आलोचना करने के दो दिन बाद, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि वह कांग्रेस नेता की टिप्पणी का समर्थन नहीं करते हैं। ठाकरे ने कहा कि वह सावरकर का बहुत सम्मान करते हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि हमारे मन में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के लिए बहुत सम्मान और विश्वास है। इसे मिटाया नहीं जा सकता। हालांकि, ठाकरे ने कहा कि शिवसेना राहुल गांधी की यात्रा का समर्थन करती है।
शिवसेना प्रमुख ने कहा, “राहुल गांधी ने वीर सावरकर के बारे में जो कहा उससे हम सहमत नहीं हैं। हम सावरकर का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों और सावरकर पर हमसे सवाल करने से पहले आपको हमें पहले यह बताना चाहिए कि स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका और योगदान क्या था? आजादी की लड़ाई के वक्त हम नहीं थे, लेकिन आरएसएस था। आजादी की लड़ाई में इस संगठन की कोई भूमिका नहीं थी।