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Homelatestरोजाना एक कविता : आज पढ़ें शबीना अदीब की कविता 'वादा'

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें शबीना अदीब की कविता ‘वादा’

हमेशा एक दूसरे के हक़ में दुआ करेंगे ये तय हुआ था
मिले कि बिछड़े मगर तुम्हीं से वफ़ा करेंगे ये तय हुआ था

कहीं रहो तुम कहीं रहें हम मगर मोहब्बत रहेगी कायम
जो ये खता है तो उम्र भर ये खता करेंगे ये तय हुआ था

उदासियाँ हर घडी हो लेकिन हयात काँटों भरी हो लेकिन
हुतूत फूलों की पत्तियों पर लिखा करेंगे ये तय हुआ था

जहाँ मुक़द्दर मिलाएगा अब वहां मिलेंगे ये शर्त कैसी
जहाँ मिले थे वहीं हमेशा मिला करेंगे ये तय हुआ था

लिपट के रो लेंगे जब मिलेंगे गम अपना अपना बयां करेंगे
मगर ज़माने से मुस्कुरा कर मिला करेंगे ये तय हुआ था

किसी के आँचल में खो गए तुम बताओ क्यूँ दूर हो गए तुम
कि जान देकर भी हक़ वफ़ा का अदा करेंगे ये तय हुआ था

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