
क्यूँ सिखाया था इश्क़ खेल मुझे
झेलना पड़ गया ना, झेल मुझे
ख़्वाब में कोई जाता दिखता है
तंग करती है एक रेल मुझे
मेरे साये से बैर है मेरा
तू उजाले में मत धकेल मुझे
सब किसी जुर्म में हैं क़ैद यहाँ
दुनिया लगती है एक जेल मुझे
जान ले लेता है चराग़ों की
पानी लगता है तेरा तेल मुझे
उसका क़ैदी हूँ कहना पड़ता है
अच्छी लगती है तेरी जेल मुझे
मार डालूँगा दुख की चीलों को
ज़िन्दगी दे मेरी गुलेल मुझे