दूधनाथ सिंह
मैंने कठैती हड्डियों वाला एक हाथ देखा–
रंग में काला और धुन में कठोर ।
मैंने उस हाथ की आत्मा देखी–
साँवली और कोमल
और कथा-कहानियों से भरपूर !
मैंने पत्थरों में खिंचा
सन्नाटा देखा
जिसे संस्कृति कहते हैं ।
मैंने एक आँख वाला
इतिहास देखा
जिसे फ़िलहाल सत्य कहते हैं।