poem एक आदमी रोटी खाता है By India Ground Report - August 28, 2021 0 337 FacebookTwitterPinterestWhatsApp एक आदमीरोटी बेलता हैएक आदमी रोटी खाता हैएक तीसरा आदमी भी हैजो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता हैवह सिर्फ़ रोटी से खेलता हैमैं पूछता हूं‘यह तीसरा आदमी कौन है?’मेरे देश की संसद मौन है। कवि- सुदामा पांडेय ‘धूमिल’