
तेईसवी पार्टी कांग्रेस में मिखाइल दोलोखो मे विद्रोही कवियों, डेनियल और सिन्यापस्की पर भीषण हमले किए, जिसका अर्थ होता था उन्हें गोली से उड़ा देना चाहिए, यदि इन काली आम के बदमाशों को बीस शक में पकड़ा गया होता, जब परिभाषित कानूनों के अनुसार हरिवोल्यूशनरी जस्टिस के अनुसार न्याय होता तो इन बदलुओं को कुछ और मिला होता। डिया कोवस्काया में सेमीजन में इसकी खुली भर्त्सना की निम्न पत्र उसी क्रम में है।
साथी की मदद के लिए क्या किया?
मास्क़ो, जुलाई 1967
प्रिय मिखाइल अलेक्जेंड्रोविच
तुम्हें पत्र लिखने से पहले मैं काफ़ी असमंजस में रहा कि इससे कोई फ़ायदा होगा… या नहीं। क्यों? तुम समझ सकते हो। पार्टी के तेईसवें अधिवेशन में दिए गए तुम्हारे के बाद लीडिया कोवस्काया ने तुम्हें एक साहसिक और बुद्धिमतापूर्ण पत्र भाष जिसका आशय न केवल तुम्हारे भाषण के अमानुषिक पक्ष का पर्दाफाश करना था, बल्कि बतौर एक लेखक तुम जिस राह पर चल पड़े हो, उसके ख़तरों के प्रति आगाह करना भी था। अपने ‘गौरव के शिखर से तुमने उस पत्र को पढ़ने की कृपा नहीं की। हाल की साहित्यिक घटनाओं के मद्देनजर हम लेखकों और पत्रकारों नेताओं का एक लंबा सफर पर किया है। चोवी लेखक कांग्रेस को लिखे, सोल्जेनित्सिन ने अपने साहसिक पत्र में बहुत कम की ओर संकेत किया है… लेबर कैंपों में सैकड़ों की संख्या में कवि और लेखक बिना कोई निशान छोड़े गुम हो गए, यह तथ्य मेरे जैसे पुराने कैदी को भी भय से भर देता है, क्योंकि वहां मारे गए अभागों में बहुत से मेरे मित्र भी थे।
तुमने प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध विचार प्रकट किए हैं और इस तरह वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाले गुट के पक्ष में चले गए हो। हम तुम्हें सिर्फ़ एक बात के लिए धन्यवाद दे सकते हैं कि अन्य स्तालिनदियों की तरह तुमने यह नहीं कहा कि हमारा प्रेस संसार में सर्वाधिक स्वतंत्र है। अपने पत्र में सोल्जेनित्सिन ने निर्णायक रूप से सिद्ध किया है कि रूस को रंच मात्र स्वतंत्रता नहीं। उस समय तुम उनसे सहमत थे (चुप रह कर) और अब तुम ऐसे लोगों की भर्त्सना करते हो, लेकिन यदि सोल्जेनित्सिन सोचते हैं कि के.जी. बी. और सेंसर की दखलंदाजी को समाप्त कर दिया जाए, तो प्रेस की स्वतंत्रता का नया युग शुरू हो जाएगा, तो वे भ्रमित हैं। हमें लेनिन को याद रखना चाहिए, जिन्होंने कहा था कि प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ होता है कि कोई भी नागरिक अपने विचार व्यक्त करने को स्वतंत्र है। जब सोल्जेनित्सिन ने प्रेस की स्वतंत्रता की मांग की, तो एक मांग यह है कि लेखक कांग्रेस, बाह्य आक्रमणों से लेखक की रक्षा करे। तुमने सोल्जेनित्सिन का पत्र पढ़ा था और तुमने उनकी मदद की गुहार की प्रतिक्रिया में क्या किया? तुमने अपने साथी लेखक की मदद के लिए क्या किया? क्या उसी तरह उनकी मदद की जैसी कभी मैक्सिम गोर्की की थी। नहीं, तुमने दूसरा रास्ता पकड़ा। तुमने सोल्जेनित्सिन के पत्र का जवाब कांग्रेस के मंच से दिया। यह जानते हुए कि सोल्जेनित्सिन को कांग्रेस या प्रेस का मंच नहीं दिया जाएगा और उनसे जा मिले, जो प्रतिभाशाली लेखक पर भौंक रहे हैं। यदि तुममें सचमुच हिम्मत है और विश्वास है कि तुम एक उचित उद्देश्य की रक्षा कर रहे हो, तो उनके पीछे मत छिपो, जो तुम्हारे विरोधियों को बोलने के अवसर से वंचित कर रहे है। एक ईमानदार साहित्यिक लड़ाई लड़ो। सोल्जेनित्सिन, लीडिया चुकोवस्काया और मेरे इस पत्र को प्रकाशित करो और खुलकर जवाब दो। लेकिन नहीं, एक बार फिर तुम अपनी पुलिस द्वारा रक्षित एस्टेट की दीवारों के पीछे पनाह ले लोगे। मैं लीडिया के पत्र से सहमत हूं कि इस प्रकार के भाषणों से तुमने स्वयं को ईमानदार ए. कोस्तारिन लेखकों की लिस्ट से खारिज कर लिया है और अपनी क़ब्र ख़ुद खोद रहे हो।