नई दिल्ली : (New Delhi) केंद्र सरकार (The central government) की साइबर अपराध के खिलाफ सख्ती और नए सुधारों के चलते पिछले छह माह में 660 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी रोकी गई है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने (Department of Telecommunications) बताया कि उसके वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) की (Financial Fraud Risk Indicator (FRI) and Digital Intelligence Platform (DIP)) मदद से इस धोखाधड़ी को रोका गया है। इस पहल में 1000 से अधिक बैंक, वित्तीय संस्थान और तृतीय पक्ष अनुप्रयोग प्रदाता शामिल हुए हैं। साथ ही संचार सारथी प्लेटफॉर्म पर लोगों की भागेदारी से भी इसे रोकने में मदद मिल रही है।
डीओटी के अनुसार, एफआरआई के जरिए संदिग्ध मोबाइल नंबरों को जोखिम श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे बैंक और भुगतान सेवा प्रदाता अतिरिक्त सुरक्षा उपाय अपना सकें। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक, सहकारी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान एफआरआई का उपयोग कर बड़ी संख्या में संदिग्ध लेनदेन अस्वीकार कर चुके हैं या उन पर चेतावनी जारी की है। इससे संभावित वित्तीय नुकसान को रोका जा सका है।
विभाग ने बताया कि अब तक 16 जागरुकता सत्र आयोजित किए गए हैं ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। साथ ही नागरिक संचार साथी पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए संदिग्ध कॉल, फर्जी कनेक्शन और खोए या चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट कर रहे हैं। डीओटी ने कहा कि जागरूक उपयोगकर्ता कई धोखाधड़ी कॉल पहचानकर काट देते हैं, लेकिन संचार साथी ऐप उन्हें रिपोर्ट करने की सुविधा देता है। इससे अधिकारी और दूरसंचार कंपनियां पैटर्न पहचानकर नंबर ब्लॉक कर सकती हैं, फर्जी कनेक्शन बंद कर सकती हैं और अपराधियों को रोक सकती हैं।
विभाग ने सभी नागरिकों से संचार साथी वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का उपयोग (Sanchar Sathi web portal and mobile app) करने की अपील की है। डीओटी ने सुरक्षित डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि आरबीआई, एनपीसीआई, सेबी, पीएफआरडीए, सभी बैंक, वित्तीय संस्थान और जन भागीदारी का सहयोग भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।





