Tehran : आईएईए के साथ फिर सहयाेग के लिये तैयार ईरान

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तेहरान : (Tehran) ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी-इज़रायली हमलों के मद्देनज़र जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) (International Atomic Energy Agency) के साथ सहयोग निलंबित करने के बाद संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था के निरीक्षकों को देश में वापस आने की अनुमति देने पर विचार करने का फैसला किया है।

यह घोषणा ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग्ची और आईएईए के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने मिस्र की राजधानी काहिरा में एक संवाददाता (Iran’s Foreign Minister Abbas Araghchi and IAEA Director General Rafael Grossi at a press conference in the Egyptian capital Cairo) सम्मेलन में की। तेहरान टाइम्स में गुरुवार को एक रिपोर्ट के मुताबिक अराग्ची ने कहा कि यह निर्णय ईरान की “ज़िम्मेदारी” की भावना को दर्शाता है और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र एजेंसी से इस बार ईरान पर राजनीतिक रूप से आरोप लगाने से बचने का आग्रह किया।

ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिकी-इज़रायली हमले आईएईए की ईरान की परमाणु गतिविधियों से संबंधित एक रिपोर्ट जारी करने के एक दिन बाद हुए थे जिसके बाद ईरान की संसद ने आईएईए के साथ सहयोग निलंबित करने वाले विधेयक को पारित किया था।

अराग्ची ने कहा कि सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (Supreme National Security Council) के समन्वय में ग्रॉसी के साथ उनके द्वारा हस्ताक्षरित समझौता इस सिद्धांत का पालन करता है। हालाँकि उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त दबाव डाला गया तो वह नए ढाँचे को लागू करना बंद कर देगा।

ईरानी विदेश मंत्री जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा “स्नैपबैक मैकेनिज्म” (Germany, Britain and France to activate the “snapback mechanism”) को सक्रिय करने के निर्णय का उल्लेख कर रहे थे जिसका उद्देश्य ईरान पर संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) से पहले के संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को बहाल करना है।

इस बीच काहिरा में हस्ताक्षरित इस समझौते की ईरान के भीतर रूढ़िवादी गुटों द्वारा निंदा किए जाने की आशंका है । उन्होंने वर्षों की निष्फल वार्ता और प्रयासों के बाद आईएईए के साथ काम करने और देश के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने का लगातार विरोध किया है। ईरानी जनता के बीच हालिया युद्ध के बाद देश के परमाणु सिद्धांत को बदलने की माँग भी बढ़ रही है जो इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई द्वारा परमाणु हथियारों के विकास (Islamic Revolution Ayatollah Seyyed Ali Khamenei prohibiting the development of nuclear weapons) पर रोक लगाने वाले एक फतवे पर आधारित है।