Mumbai : मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी होने पर साध्वी प्रज्ञा ने लगाया हिरासत में यातना देने की साजिश का आरोप

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मुंबई : (Mumbai) महाराष्ट्र के वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में बरी होने के बाद पूर्व भाजपा सांसद और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (2008 Malegaon blast case in Maharashtra, former BJP MP and Sadhvi Pragya Singh Thakur) ने शनिवार को हिरासत में यातना देने की राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में निर्दोष बरी होने को हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा और “भगवा, धर्म, सनातन धर्म और हिंदुत्व की जीत” बताया है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर शनिवार को मुंबई सेशन कोर्ट में 50,000 रुपये का ज़मानत बांड दाखिल करने के लिए उपस्थित हुईं थीं।

इसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में अपनी 24 दिनों की हिरासत अवधि का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने विशेष रूप से मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह को “निरंतर शारीरिक शोषण” में (Mumbai Police Commissioner Paramvir Singh as being involved in “continuous physical abuse”)शामिल होना बताया। ठाकुर ने कहा, “मैंने जो क्रूरता झेली, उसका वर्णन शब्दों से परे है । भाषा में ऐसी पीड़ा को व्यक्त करने की क्षमता नहीं है।” प्रज्ञा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों की पहचान करते हुए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।

उन्होंने बताया कि हिरासत अवधि के दौरान अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत और भाजपा नेताओं राम माधव और इंद्रेश कुमार सहित (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath, RSS chief Mohan Bhagwat and BJP leaders Ram Madhav and Indresh Kumar) प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को फंसाने के लिए झूठे बयान दर्ज कराने की कोशिश की। उन्होंने बताया, “मेरे उत्पीडक़ों ने स्पष्ट रूप से वादा किया था कि अगर मैंने इन लोगों पर झूठा आरोप लगाया तो वे यातना देना बंद कर देंगे।” उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंध में उनकी हिरासत के दौरान भी इसी तरह की ज़बरदस्ती की गई थी, जिसका उन्होंने विरोध किया। उन्होंने दिवंगत एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे और अधिकारियों सुखविंदर सिंह और खानविलकर (ATS chief Hemant Karkare and officers Sukhwinder Singh and Khanwilkar) की विशेष रूप से आलोचना की और उन पर सबूत गढऩे और प्रक्रियात्मक उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह पूरा मामला शुरू से ही राजनीति से प्रेरित एक मनगढ़ंत कहानी थी। “