Varanasi : वाराणसी में गंगा की लहरें चेतावनी बिंदू के पार, 1978 के बाढ़ का रिकॉर्ड टूटने की आशंका

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कमिश्नर ने बाढ़ का लिया जायजा, जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और जल पुलिस मुस्तैद
वाराणसी : (Varanasi)
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सदानीरा गंगा (In Varanasi, Uttar Pradesh, the perennial Ganga) शुक्रवार शाम चेतावनी बिंदु को पार कर खतरे के निशान की ओर बढ़ चली है। गंगा में लगातार उफान और पलट प्रवाह से सहायक नदी वरूणा ने रौद्र रूप ले लिया है। दोनों नदियों के तटवर्ती क्षेत्र बाढ़ के पानी में घिर गए हैं। इन इलाकों में जनजीवन ठहर सा गया है। हालात विषम देख प्रभावित इलाके के लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका घाट की गलियों में (Mokshatirtha Manikarnika Ghat) दूसरी बार नौका चल रही है। हालात पर प्रदेश सरकार भी नजर रखे हुए है। शासन के निर्देश पर वाराणसी जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और जल पुलिस पूरी (Varanasi district administration, NDRF and water police) तरह से मुस्तैद हैं और प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव के लिए निर्देश दिए गए हैं।

अपरान्ह में वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर एस राजलिंगम और उपमहानिरीक्षक 11वीं एनडीआरएफ मनोज शर्मा ने (varanasi Zone Commissioner S Rajlingam and Deputy Inspector General 11th NDRF Manoj Sharma) संयुक्त रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों -गंगा घाटों तथा वरुणा नदी के कोनिया, सलारपुर, हुकुलगंज एवं चौकाघाट का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया। अफसरों ने निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ से निपटने की तैयारियों, त्वरित बचाव कार्यों एवं राहत वितरण व्यवस्था की गहन समीक्षा की। साथ ही संभावित बाढ़ के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए समन्वित रणनीति तैयार करने पर भी विस्तृत विचार-विमर्श किया।

उप महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि एनडीआरएफ की टीमें हर स्तर पर स्थानीय प्रशासन के साथ सतत समन्वय बनाए हुए हैं और किसी भी स्थिति में त्वरित राहत एवं बचाव कार्यों के लिए पूर्णतः तैयार हैं।

गंगा का जलस्तर चेतावनी को पार कर गयः केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शुक्रवार शाम को गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 को पार कर गया। शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 70.28 मीटर दर्ज किया गया। वाराणसी में खतरे का निशान 71.262 मीटर है। जलस्तर में औसतन चार सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि हो रही है। आयोग ने संभावना जताई है कि इस बार वाराणसी में वर्ष 1978 की भयावह बाढ़ का रिकॉर्ड टूट सकता है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में हो रही भारी बारिश और पहाड़ों पर लगातार गिरते पानी के चलते केन, बेतवा और चंबल नदियों के बांधों से 10 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यह पानी अगले 2-3 दिनों में प्रयागराज होते हुए वाराणसी पहुंचेगा। इससे हालात और गंभीर हो सकते हैं।

तटवर्ती क्षेत्र प्रभावितः बाढ़ के पहले दौर की तरह इस बार भी तहसील सदर के रामपुर ढाब और शहर के वरुणा नदी के किनारे बसे दस मोहल्ले सलारपुर, सरैया, नक्खी घाट, दानियालपुर, कोनिया, ढेलवरिया, पुल कोहना, रसूलगढ़, नगवां और पुष्कर तालाब की आबादी प्रभावित है। ग्रामीण अंचल में 15 गांव बाढ़ से प्रभावित है। इनमें रामपुर ढाब, रामचंदीपुर, मुस्तफाबाद, छितौना, जाल्हूपुर, लुठा, अम्बा, शिवदसा, गोबरहा, मोकलपुर, हरिहरपुर, पिपरी, कैथी, टेकुरी और बर्थरा खुर्द में जनजीवन के साथ खेती किसानी प्रभावित है।

जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण वाराणसी के अनुसार गंगा के बाढ़ से प्रभावित कृषकों की संख्या 294 और प्रभावित कृषि क्षेत्रफल 53.6589 है। कुल विस्थपित (प्रभावित) 2019 लोग हैं। सक्रिय बाढ़ राहत शिविरों में प्राथमिक विद्यालय, सलारपुर, प्राथमिक विद्यालय और यूनाइटेड पब्लिक स्कूल सरैया, सिटी गर्ल्स स्कूल, बड़ी बज़ार, चित्रकूट कान्वेंट स्कूल नक्खीघाट, नवोदव स्कूल, दानियालपुर, सुभाष इंटर कॉलेज, कोनिया, रामजानकी मंदिर और प्राथमिक विद्यालय, ढेलवरिया, दिप्टी कान्वेंट स्कूल, हुकुलगंज, जेपी मेहता इंटर कॉलेज, सिकरौल, गोपी राधा इंटर कॉलेज, रविंद्रपुरी, प्राथमिक विद्यालय, रामपुर ढाब है।

घाटों पर अंतिम संस्कार में परेशानी, गंगा आरती गलियों मेंः गंगा के बढ़ते जलस्तर से मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार में परेशानी हो रही हैं। मणिकर्णिका घाट की गलियों में पानी भरने से शवों को नाव से ऊपरी प्लेटफॉर्म तक पहुंचाया जा रहा है। हरिश्चंद्र घाट की गलियों में ही शवदाह किया जा रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार की सीढ़ियों तक भी पानी पहुंच गया है, जहां अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है। दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस कार्यालय भी डूबने के कगार पर है। अस्सी घाट की सीढ़ियों को पार करते हुए गंगा का पानी अब गलियों तक पहुंच चुका है, जहां नियमित सायंकालीन गंगा आरती अब गलियों में ही किया जा रहा है। मणिकर्णिकाघाट पर गंगा का जलस्‍तर सतुआ बाबा आश्रम के पास पहुंच गया है। प्रशासन की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है और जलस्तर पर नजर रखते हुए सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। जल पुलिस, एनडीआरएफ, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।