मुंबई : (Mumbai) महाराष्ट्र के मालेगांव में २९ सितंबर २००८ को हुए बम विस्फोट मामले में गुरुवार को मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट ने आरोपित साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Sadhvi Pragya Singh Thakur), लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Purohit) सहित सभी सात आरोपितों को बरी किया है। कोर्ट ने कहा कि जांच दल इस मामले में सबूत जुटाने में विफल रहा है।
विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी (Special Judge A.K. Lahoti) ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल संदेह के आधार पर मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। न्यायाधीश ने कहा, “समाज के खिलाफ एक गंभीर घटना हुई है लेकिन अदालत केवल नैतिक आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती।”
कोर्ट ने कहा कि जांच दल बम विस्फोट में प्रयुक्त बाइक की पहचान नहीं कर सकी है। इसी तरह जांच एजेंसी घटना में प्रयुक्त आरडीएक्स लाए जाने और उसके ट्रांसपोर्टेशन के भी सबूत नहीं दे सकी। इसलिए जांच एजेंसी की ओर से लगाए गए आरोप साबित नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने स्पाट पंचनामा और जांच पर भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस घटना में मृतकों के परिजनों को २-२ लाख रुपये और घायलों को ५० हजार रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर, 2008 को मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए थे। इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (Anti-Terrorism Squad) (ATS), द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था। एनआईए ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी को गिरफ्तार किया था। आज कोर्ट में फैसला सुनाए जाते समय सभी आरोपित कोर्ट में उपस्थित थे।