राजस्थान में खाद्य सुरक्षा पर विशेष जोर: एफएसएसएआई सीईओ ने की समीक्षा बैठक, मिलावट मामलों के त्वरित निपटान के निर्देश

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    जयपुर। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी. कमला वर्धन राव ने बुधवार को जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में राजस्थान में खाद्य सुरक्षा व्यवस्था और मिलावट रोकथाम के प्रयासों की गहन समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि घी, दूध, पनीर और मसालों जैसे दैनिक उपयोग के खाद्य पदार्थों के नियमित नमूने लिए जाएं और उनसे संबंधित मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाए। राव ने राज्य सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और मिलावट के खिलाफ किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मिलावट के मामलों की लगातार निगरानी और उनके त्वरित समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बीकानेर में प्रस्तावित फूड सेफ्टी लैब की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, और इसके लिए एफएसएसएआई पूर्ण सहयोग करेगा। समीक्षा बैठक में उन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत राज्य में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की, जिसमें लंबित कानूनी प्रकरण, मानव संसाधन की स्थिति और अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया।

    मुख्य बिंदु:
    ● राव ने कहा कि खाद्य मिलावट से जुड़े मामलों का पहली सुनवाई के 90 दिनों के भीतर निपटारा अनिवार्य है, जैसा कि अधिनियम में प्रावधानित है।
    ● राज्य में रिक्त खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (FSO) के पदों को शीघ्र भरने के निर्देश भी दिए गए।
    ● त्योहारी सीजन के दौरान संभावित मिलावट को देखते हुए विशेष जागरूकता और निगरानी अभियान चलाने की योजना साझा की गई।
    राजस्थान के खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्री एच. गुइटे ने राज्य में चल रही खाद्य सुरक्षा अभियानों की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि एक एआई-आधारित मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जा रहा है, जो आमजन को रियल टाइम जानकारी, शिकायत दर्ज करने की सुविधा और जागरूकता संबंधी कंटेंट प्रदान करेगा। इस उच्च स्तरीय बैठक में विभिन्न जिलों के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (जो अधिनिर्णय अधिकारी के रूप में नियुक्त हैं), मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, तथा एफएसएसएआई के वरिष्ठ अधिकारी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपस्थित रहे। एफएसएसएआई के कार्यकारी निदेशक सत्येन कुमार पंडा और निदेशक राकेश कुमार ने अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए रणनीतिक सुझाव प्रस्तुत किए और सख्त अनुपालन पर बल दिया।