New Delhi : फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के खिलाफ दिल्ली, बांबे और गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल

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नई दिल्ली : (New Delhi) फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ (film ‘Udaipur Files’) के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (Jamiat-Ulema-e-Hind) ने दिल्ली हाई कोर्ट समेत बांबे और गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जमीयत के वकील फुजैल अहमद अययुबी ने याचिका में कहा है कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई है। फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। याचिका में जमीयत ने आरोप लगाया है कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद (Prophet Mohammad) और उनकी पत्नियों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है। फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध जहर उगला गया है।

याचिका में कहा गया है कि यह फिल्म एक विशेष धार्मिक समुदाय को बदनाम करती है, जिससे समाज में नफरत फैल सकती है और नागरिकों के बीच सम्मान तथा सामाजिक सौहार्द को गहरा नुकसान हो सकता है। फिल्म में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) जैसे मामलों का भी उल्लेख है, जो वर्तमान में वाराणसी की जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र जारी होने के बाद 11 जुलाई को रिलीज किया जाना है। याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स (Central Government, Censor Board, Johnny Fire Fox Media Pvt Ltd and X Corps parties) को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है। ट्रेलर से साफ झलकता है कि यह फिल्म मुस्लिम-विरोधी भावनाओं से प्रेरित है।

फिल्म का 2.53 मिनट का ट्रेलर जारी किया गया है। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि ट्रेलर से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि फिल्म का मकसद एक विशेष धार्मिक समुदाय को नकारात्मक और पक्षपाती रूप में पेश करना है, जो उस समुदाय के लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।