Bhopal : मप्र हाई कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर की भाषा पर जताई नाराजगी

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कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया था आपत्तिजनक बयान, अब हाई कोर्ट की निगरानी में होगी पुलिस जांच
भोपाल : (Bhopal)
भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह (Madhya Pradesh Tribal Affairs Minister Vijay Shah) के विवादित बयान पर दर्ज एफआईआर की भाषा पर मप्र उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला (Justice Atul Shridharan and Justice Anuradha Shukla) की युगलपीठ ने गुरुवार को मंत्री शाह के खिलाफ हुई एफआईआर को सिर्फ खानापूर्ति बताया है। साथ ही कहा कि अब इस पुलिस जांच की निगरानी कोर्ट करेगी। जांच किसी दबाव में प्रभावित न हो इसलिए ऐसा करना जरूरी है।

उच्च न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के तहत मंत्री के खिलाफ अपराध सिद्ध होते हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत अपराध बनता है, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध घोषित करता है। बीएनएस की धारा 192 के तहत भी प्रथम दृष्टया अपराध बनता है, जो धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा या जाति के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने से संबंधित है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विजय शाह के खिलाफ बुधवार रात इंदौर के मानपुर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी। उनके खिलाफ धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

गुरुवार को मामले को लेकर उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने कर्नल सोफिया कुरैशी के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी करने के आरोपित मंत्री विजय शाह के विरुद्ध मानपुर थाने में दर्ज एफआईआर की ड्राफ्टिंग पर असंतोष जताया। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने उच्च न्यायालय को बताया कि कोर्ट के आदेश पर बुधवार शाम 7:55 बजे इंदौर के मानपुर थाने में विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। जांच पुलिस कर रही है। इस पर न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने कहा कि यह किसी हत्या की जांच नहीं है, बल्कि एक आपत्तिजनक भाषण से जुड़ा मामला है। ऐसे में इसमें लंबी जांच की आवश्यकता नहीं है।

युगलपीठ ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि एफआईआर को पूरी तरह से देखने पर मंत्री के कार्यों का एक भी उल्लेख नहीं मिला, जो उसके खिलाफ दर्ज किए गए अपराधों के तत्वों को संतुष्ट करता हो। एफआईआर इस तरह दर्ज की गई, ताकि पूर्ववर्ती कानून की धारा 482 के अंतर्गत चुनौती दी जाती है तो इसे रद्द किया जा सके, क्योंकि इसमें भौतिक विवरण की कमी है। न्यायालय निर्देश देता है कि 14 मई का पूरा आदेश एफआईआर के पैरा 12 के भाग के रूप में पढ़ा जाएगा। इसी के साथ राज्य शासन को नए सिरे से सुधार के निर्देश दे दिए। युगलपीठ ने यह भी साफ कर दिया कि इस मामले की उच्च न्यायालय मॉनीटरिंग करेगा।

दरअसल, मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान दिया था। उन्हें आतंकियों की बहन बताया था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को उनके इस बयान पर स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने डीजीपी को आज की तारीख में छह घंटे के भीतर मंत्री शाह पर एफआईआर के निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा कि मंत्री विजय शाह का बयान सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाला है। भारत की एकता अखंडता को खतरे में डालने का अपराध दर्ज करें। अगर एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो डीजीपी पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई होगी।