महाकुम्भ नगर : (Mahakumbh Nagar) प्रयागराज में चल रहे विश्व के सबसे बड़े स्नान पर्व महाकुम्भ में दो अमृत स्नान (शाही स्नान) हो चुके हैं। 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन अंतिम तीसरा स्नान होगा। अगर भीड़भाड़ से बचने या किसी अन्य कारण से आप अभी तक प्रयागराज में आकर आस्था की डुबकी नहीं लगा पाये हों तो आपको मायूस होने की जरूरत नहीं है। 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में फरवरी महीने में अमृत स्नान के बाद के बाद दो विशेष स्नान शेष है। जिसमें आप आकर पवित्र संगम में आकर पुण्य की डुबकी लगा सकते हैं। गौरतलब है 13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुम्भ 26 फरवरी को समाप्त होगा। इससे पहले आप महाकुम्भ के साक्षी बन सकते है।
अंतिम अमृत स्नान के बाद हैं दो विशेष स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन महाकुम्भ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान होगा। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की विशेष तौर पर पूजन अर्चन की जाती है। इस दिन किया गया स्नान काफी खास होने वाला है।
फरवरी में दूसरा स्नान माघ पूर्णिमा कोफरवरी में दूसरा स्नान माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को आयोजित होगा। पूर्णिमा का दिन काफी शुभ माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे रूप में होता है। ऐसे में अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पाप कट जाते हैं। हालांकि, भीड़ से बचने के लिए माघ की पूर्णिमा से पहले या बाद में भी स्नान कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर पवित्र स्नानफरवरी महीने का तीसरा और महाकुम्भ का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर आयोजित होगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्यौहार है इस दिन किया गया स्नान व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति करवाएगा। महाशिरात्रि पर महाकुम्भ में भारी भीड़ हो सकती है। ऐसे में भीड़ से बचकर पहले ही स्नान कर सकते हैं।
अमृत स्नान का महत्वधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अमृत स्नान के दिन गंगा जी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमृत स्नान करने से पितर दोष भी दूर हो जाते हैं। वैसे महाकुंभ में किसी भी दिन स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमृत स्नान करने से अमरत्व की प्राप्ति होती है।