नई दिल्ली : (New Delhi) गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी पाए जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) (आरबीआई) सख्त हो गया है। हालांकि केंद्रीय बैंक की इस सख्ती का देश की टॉप ब्रोकरेज कंपनियों ने स्वागत जरूर किया है लेकिन इसके साथ ही गोल्ड लोन के ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका भी जताई है। एक दिन पहले ही आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी करके कर्ज देने वाली एंटिटीज (गोल्ड लोन कंपनी) को अपनी पॉलिसी और पोर्टफोलियो की समीक्षा करने तथा तुरंत एक्शन लेने का निर्देश दिया था। इस सर्कुलर में कंपनियों को 3 महीने में पर्याप्त सुधार करने की चेतावनी दी गई है।
आरबीआई की सख्ती के बाद ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि इस सख्ती के कारण गोल्ड लोन की ग्रोथ घट सकती है। गोल्ड लोन देने वाली बड़ी कंपनियों को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि आरबीआई की ये सख्ती गोल्ड लोन मार्केट की बेहतरी के लिए जरूरी तो है लेकिन इससे तत्काल कंपनियों के सामने परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। विज्ञप्ति में ये भी कहा गया है कि केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन कंपनियों को गड़बड़ी दूर करने के लिए 3 महीने का समय दिया है। इस तीन महीने की अवधि में अगर कंपनियां जरूरी सुधार कर लेती हैं तो आरबीआई का रेगुलेटरी एक्शन टल सकता है। इसी तरह जेफरीज ने भी आरबीआई की सख्ती को जरूरी बताते हुए इसका स्वागत किया है। हालांकि जेफरीज ने भी इस सख्ती की वजह से आने वाले दिनों में गोल्ड लोन के ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका जताई है।
उल्लेखनीय की भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने के बदले कर्ज देने वाली एंटिटीज के कामकाज में कई गड़बड़ियां पाए जाने के बाद सख्त रुख अपनाते हुए सर्कुलर जारी किया है। आरबीआई के अनुसार गोल्ड लोन की पूरी प्रक्रिया की जांच में कर्ज के स्रोत और मूल्यांकन के लिए थर्ड पार्टी के उपयोग में कमियां, ग्राहकों की गैर मौजूदगी में सोने का वैल्यूएशन, अपर्याप्त जांच पड़ताल, गोल्ड लोन के अंतिम उपयोग पर नजर रखने में चूक और आभूषणों की नीलामी के दौरान पारदर्शिता का अभाव जैसी गड़बड़ियां पाई गई हैं।
इन गड़बड़ियों की वजह से ही केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन के काम में शामिल सभी कंपनियों को अपनी पॉलिसी और प्रक्रिया का डीटेल्ड रिव्यू करने, गड़बड़ियों की पहचान करने और समय बद्ध तरीके से सुधार करने का निर्देश दिया है। आरबीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आउटसोर्स की गई गतिविधियों और थर्ड पार्टी के सर्विस प्रोवाइडर्स पर गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों का पर्याप्त नियंत्रण हो।
आरबीआई के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि गोल्ड लोन देने वाली एंटिटीज 3 महीने के अंदर तमाम गड़बड़ियां को सुधार करने के संबंध में अपनी ओर से की गई कार्रवाई के बारे में आरबीआई को सूचित करेंगी। सर्कुलर में इस बात की चेतावनी भी दी गई है कि अगर केंद्रीय बैंक की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया तो आरबीआई की ओर से और सख्त एक्शन लिया जा सकता है।