सहरसा : छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के बच्चे बड़े शहरों में खेले जाने वाले खेलों को काफी पसंद कर रहे हैं। वे बड़े शहरों में खेले जा रहे खेलों को सीखने में दिलचस्पी जता रहे है, जिसके कारण कराटे , कुंगफू और वुशु कुंगफू सहित अन्य खेलों में बच्चों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इससे नए-नए खेल के प्रति बच्चों की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है, जिससे इन खेलों में भी छोटे शहरों से निकलकर बच्चे अपना नाम और शोहरत दोनों कमा रहे हैं।
इन दिनों स्थानीय स्टेडियम में बड़े शहरों में खेले जा रहे वुशु कुंग फू ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट को सीखने के लिए बच्चे जमकर पसीना बहा रहे हैं, जबकि कुछ दिन पूर्व तक उक्त खेल सिर्फ बड़े शहरों के बच्चों के बीच ही काफी लोकप्रिय था। सहरसा के बच्चे इन खेलों से अनजान थे, लेकिन अब वे इन खेलों को सीखने के प्रति लगाव दिखा रहे हैं। साथ ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर अपना नाम और शोहरत दोनों कमा रहे हैं।
उत्तर बिहार वुशु कुंग फू ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट एकेडमी के प्रशिक्षक अरविंद कुमार मुन्ना ने बताया कि कुछ दिन पूर्व तक अपने शहर के बच्चों के लिए वुशु कुंग फू नया खेल हुआ करता था। जिसमें बच्चे कम हिस्सा लेते थे। लेकिन उनके द्वारा कई जगहों पर लगातार प्रशिक्षण दिए जाने के बाद और बच्चों के बीच उक्त खेल के प्रचार-प्रसार किए जाने के बाद बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब बच्चे आत्मरक्षा के कलाओं को सीखना चाहते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि वुशु कुंग फू भी आत्मरक्षा का खेल है। वर्तमान समय में आत्मरक्षा के गुण को सिखाना सभी के लिए आवश्यक है। खासकर बड़ी होती बच्चियों के लिए यह खेल वरदान साबित होता है। इसमें बिना हथियार के ही हाथ-पैर चलाकर बच्चे-बच्चियां अपनी आत्मरक्षा कर सकते हैं। वुशु कुंग फू खेल के साथ-साथ यहां युद्ध कला की अन्य विधाएं जैसे कराटे , बॉक्सिंग , किक बॉक्सिंग , योगा , प्राणायाम , बॉडी फिटनेस आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें उनके अलावे बच्चों को वुशु कुंग फू स्पेशलिस्ट रानी कुमारी , करण सिंह एवं जिमनास्टिक कोच सुनील , मंटू , राजा के अलावे काता स्पेशलिस्ट कोच मोतिउर रहमान भी बच्चों को अन्य विधाओं का ज्ञान देते हैं।
मौके पर मौजूद दर्जनों बच्चों ने बताया कि ए के मुन्ना सर ने जब उसे ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट के खेल को बताया तो जिज्ञासा बढ़ी। जिसे अब सीखने में बहुत मजा आ रहा है। इसमें आत्मरक्षा के तरीके को सीख रहे हैं। जो भविष्य में उनके काम आएंगे।