जयपुर : सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ में शनिवार को खरना हुआ। व्रती महिलाओं एवं पुरुषों ने सुबह निर्जला निराहार व्रत रखा और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर चावल और गुड की खीर, रोटी बनाकर केले के पत्ते पर प्रसाद निकाला। प्रसाद पर तुलसी का पत्ता रखकर भगवान सूर्य देव और छठ मैया को भोग अर्पण किया। जिसके बाद घी का दीपक जलाकर मैया की आरती की। व्रतियों ने शांतचित् होकर भगवान का प्रसाद ग्रहण किया और रिश्तेदारों को भी प्रसादी के लिए आमंत्रित किया। जिन परिवारों ने व्रत नहीं रखा उन्हे भी प्रसादी भिजवाई।
इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ। यह व्रत सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा।
राजस्थान बिहारी समाज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सत्य नारायण यादव ने बताया कि रविवार शाम को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा तथा सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालु गलता जी तीर्थ पहुचें। रविवार शाम को ही हजारों श्रद्धालु गलताजी में डेरा डाल देंगे। शास्त्रीनगर स्थित स्वर्ण जयंती गार्डन के पीछे किशन बाग, हसनपुरा की दुर्गा विस्तार कॉलोनी, दिल्ली रोड, प्रताप नगर, मालवीय नगर, रॉयल सिटी माचवा, मुरलीपुरा, आदर्श नगर, विश्वकर्मा, जवाहर नगर, निवारू रोड, झोटवाड़ा में लक्ष्मी नगर, कानोता, आमेर रोड, सोडाला, अजमेर रोड, हीरापुरा पावर हाउस, सिविल लाइंस, गुर्जर की थड़ी, आकेड़ा डूंगर पर बड़ी धूमधाम से सूर्य उपासना का महापर्व मनाया जाएगा।
छठ का प्रसाद ठेकुआ के बिना अधूरा है। इसे तैयार करने के लिए गेहूं का आटा घर में तैयार करने की परंपरा है। इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि पूजा से संबंधित किसी भी सामग्री को कोई भी जूठा नहीं करें। ऐसा हो जाने पर सूर्य देव कुपित हो जाते है। ठेकुआ प्रसाद उन घरों में विशेष रूप से तैयार होता है जिनके यहां हाल ही में विवाह हुआ है या होने वाला है। इन घरों में कोसी भरने की परंपरा है। यह मिट्टी के हाथी पर कलश और पंचमुखी दीपक रखा जाता है। हाथी के चारों ओर पांच गन्ने रखे जाते हैं। कोसी भरने का कार्य रविवार को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद होगा। सोमवार को इस मिट्टी के हाथी को घाट पर भी ले जाया जाएगा।