सुरंग में 30 घंटों से फंसी 40 जिंदगियां, जान बचाने की जंग जारी
पानी की पाइपलाइन के माध्यम से भेजा गया चना-चबैना और आक्सीजन
उत्तरकाशी : (Uttarkashi) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 35 घंटों से फंसी 40 जिंदगियों की बचाने की जंग जारी है। रविवार देर रात्रि इस बारे में राहत भरी खबर आयी। राहत और बचाव कार्यों में लगी टीमों से मजदूरों की बात हुई। उन्होंने उनसे खाने की मांग की। इसके लिए उन्हें पाइपलाइन से चने के पैकेट भेजे गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह उत्तरकाशी पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया। प्रधानमंत्री भी इस बारे में लगातार अपडेट ले रहे हैं।
सिलक्यारा कंट्रोल रूम ने बताया कि रविवार रात्रि को वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे लोगों से संपर्क हुआ। इस दौरान सभी की कुशलता बताई गई। उन्हाेंने खाने की मांग की, जिन्हें पाइप के थ्रू खाना भिजवाया जा रहा है। विक्टिम्स तक की दूरी 60 मीटर (लगभग) है।
जिला अधिकारी अभिषेक रुहेला ने बताया कि टनल में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति निरंतर जारी है। इसी पाइपलाइन के जरिए रात में चना-चबैना के पैकेट कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक भेजे गए हैं।मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को लगाया गया है। वॉकी-टॉकी के थ्रू टनल में फंसे मजदूरों से संपर्क हुआ। फिलहाल सभी मजदूर सुरक्षित बताए हैं।
इधर उपजिला अधिकारी डुंडा बृजेश तिवारी और सीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि मशीन के द्वारा कैविटी से आए हुए मलबे के ऊपर शर्ट कटिंग कर रहे थे, लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहा है। अब शर्ट कटिंग मशीन को टनल से बाहर लाया गया है। उसकी वॉशिंग चल रही है और वहां पर लोडर लगाकर फिर से मलबा को कैविटी वाले एरिया से 30-40 मीटर पीछे लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए मलबा हटाने का कार्य निरंतर चल रहा है। मलबा हटाने के लिए हैवी एक्सकैवेटर मशीनों को जुटाया गया है।
राहत के लिए 24 घंटे अधिकारियों लगाई गई ड्यूटी-
डीएम अभिषेक रुहेला ने राहत और बचाव अभियान में समन्वय के लिए 24 घंटे अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। रविवार रात के शिफ्ट में इस काम का समन्वय देख रहे जल संस्थान के प्रभारी अधिशासी अभियंता दिवाकर डंगवाल ने तड़के टनल से बाहर आने पर बताया कि मलबा हटाने का कार्य तेजी से जारी है। रात में फंसे मजदूरों तक संपर्क स्थापित करने और उन तक भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कवायद अनेक बार की गई है।
टनल के भविष्य को लेकर भी कई सवाल हो रहे खड़े –
दो साल पूर्व निर्मित टनल के अंदर एक साथ इतने बड़े क्षेत्र में भूस्खलन होना बड़े खतरे का संकेत है। टनल के भविष्य को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि भविष्य में भी टनल में कुछ इसी तरह भूस्खलन हुआ तो हर वक्त लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी रहेंगी। इन सवालों का जवाब निर्माण से जरूर पूछा जाना जरूरी है गया है। सवाल इसलिए भी जरूरी है कि टनल का निर्माण समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी सीएम धामी से लगातार ले रहे हैं अपडेट-
बीते रविवार सुबह से टनल में फंसे 40 जिंदगियों की बचाने की जद्दोजहद जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं मजदूरों की कुशलता को लेकर के मुख्यमंत्री से अपडेट ले रहे हैं। इसके अलावा जिले के आला अधिकारी भी इस पूरे रेस्क्यू पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।टीएचडीसी और लखवाड़ हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के विशेषज्ञ भी लगातार मौके पर हैं। वॉकी-टॉकी के जरिए उनसे संपर्क भी हो चुका है। अब देखना होगा कि मजदूरों का रेस्क्यू करने में कितना और समय लगता है?।
झारखंड के मजदूर मदन सिंह ने भाग कर बचाई जान-
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा- डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार सुबह अचानक ढह गया था। शोरूम में काम शुरू में उसे वक्त कम कर रहे हैं 41 मजदूर की शिफ्ट चेंज हो रही थी। सबसे आगे झारखंड के मदन सिंह थे।
मदन सिंह संवाददाताओं को आपबीती बताते हुए रो पड़ा। रोते हुए उसने बताया कि यदि पांच सिंह 5 सेकंड देर हो जाती तो वह जिंदा मलबेे के नीचे दफन हो जाता। झारखंड के मजदूर ने बताया है कि शिफ्टिंग के दौरान सभी लोग वापस आ रहे थे कि अचानक टनल से भूस्खलन हुआ और वह सबसे आगे था। अन्य लोग वापस चले गए, लेकिन वह आगे की ओर भाग गया। उसने कहा कि भगवान का शुक्र गुजार हूं कि वह सब कुशल बच गया और अपने साथियों की भी कुशलता की कामना करता हूं।
कंपनी ने नहीं निकाली ह्यूम पाइप, रेस्क्यू में मिलती मदद-
निर्माणाधीन टनल में कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) की सबसे बड़ी खामियां नजर आ रही हैं। टनल के अंदर सुरक्षा के लिहाज से जो उपकरण आवश्यक होने चाहिए। एक तो उनके पास उपकरण भी नहीं है। कुछ मजदूरों ने बताया कि पहले टनल में ह्यूम पाइप लगे थे, बाद में निकल दिए गये। यदि ह्यूम पाइप लगे होते तो सभी मजदूर सकुशल उन पाइपों के माध्यम से बाहर निकल जाते।
गौरतलब है कि ह्यूम पाइप पुलिया सबसे तेज़ निर्माण तकनीक है। ह्यूम पाइप पूर्व-कास्ट बेलनाकार आरसीसी पाइप हैं। इनका आंतरिक व्यास 300 मिमी, 600 मिमी, 900 मिमी, 1100 मिमी के ह्यूम पाइप व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। एक पाइप की मानक लंबाई 2.5 मीटर है और पाइप की मोटाई उसके आंतरिक व्यास पर निर्भर करती है। इन में टनल के अंदर सुरक्षित निकालने का सबसे आसान तरीका है।