लखनऊ : महिलाएं मंगल गीतों के माध्यम से मौसम का स्वागत करती हैं। प्रदेश में बहुत सी सांस्कृतिक गतिविधियां वर्षा से जुड़ी है, जैसे-कजरी का आयोजन फसल की बुआई के समय मुख्य तौर से होता है। इसी प्रकार बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम विभिन्न मौसम में हमारे देश एवं प्रदेश के कलाकारों द्वारा किया जाता है।
यह बातें पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शुक्रवार को उ0प्र0 लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान एवं भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वर्षा मंगल कार्यक्रम के दौरान कही।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि बरसात के मौसम में प्रकृति का दृश्य पूरी तरह से हरा- भरा नजर आता है। सभी के चेहरे पर मुस्कान रहती है। जल के महत्व को देखते हुए इसे जल देवता की उपाधि दी गयी है। समय पर वर्षा हो जाय, तो किसानों का मन प्रसन्न हो जाता है एवं उनके जीवन पर इसका बहुत अधिक प्रभाव रहता है। संगीत से जुड़ा होने के कारण विभाग का सम्बंध वर्षा से है।
जयवीर सिंह ने कहा कि पृथ्वी पर जब जल की फुहारें पड़ती हैं तो मिट्टी की सोंधी खुशबू लोगों को आनंदित कर देती हैं। यह वह समय होता है जब हमारे अन्नदाता किसान धान की रोपाई करते हैं और इसके लिए वर्षा का इंतज़ार करते हैं। वर्षा होने पर मंगल गीत गाये जाते हैं। लोग झूमते नाचते हैं। आकाश भी सप्तरंगों इंद्रधनुष लिए प्रकृति को और भी खूबसूरत बना देता है। पेड़ पौधों में नई हरी पत्तियां खूबसूरत हरियाली कर देती है।
सर्वप्रथम कार्यक्रम में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा कहाँ से आवे बदरा, कहां से आवे बुंदिया और डॉ कमलेश दुबे द्वारा लिखित चला चली सावन के बहारे जैसे वर्षा गीतों से कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद छात्रों द्वारा गगन गरजत दमकत दामिनी पर कथक नृत्य की प्रस्तुति की गई।
लखनऊ की लोकगायिका अंजली खन्ना एवं दल द्वारा सावन आयो सुघड़ सुहावनो, हरी मेहंदी के हरे हरे पात व नन्ही नन्ही बुंदिया रे जैसे वर्षा गीतों तथा नृत्य की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में विभिन्न रंगों की छटा बिखेर कर दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया। जवाबी कजरी अवध में बहुत प्रचलित रही है, अधिकतर पुरुषों द्वारा इस जवाबी कजरी की प्रथा रही है। अधर की कजरी, ककहरा, बंदिश, छंद, बंद जैसे कई कजरी के प्रकार है। पहली बार भातखण्डे विश्वविद्यालय का मंच इस जवाबी कजरी का गवाह रहा।
इस कार्यक्रम में मिर्ज़ापुर से पधारी प्रसिद्ध लोकगायिका उर्मिला श्रीवास्तव व प्रयागराज से पधारी लोकगायिका आश्रया द्विवेदी के बीच वाबी कजरी का आयोजन हुआ। जवाबी कजरी के इस कार्यक्रम ने दर्शकों को आनन्दित कर दिया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. सीमा भरद्वाज ने किया।
कार्यक्रम में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह द्वारा माननीय मंत्री, पर्यटन एवं संस्कृति जयवीर सिंह का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विशेष सचिव अमरनाथ उपाध्याय, भातखण्डे की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन उपस्थित रहीं।



