विशाल भारत रंगमंच ने पांडेयपुर चौराहे पर नुक्कड़ नाटक में जरिए दिया संदेश
वाराणसी:(Varanasi) विश्व पर्यावरण दिवस पर सोमवार को सामाजिक संस्था विशाल भारत संस्थान से जुड़े रंगमंच के कलाकारों और कार्यकर्ताओं ने पाण्डेयपुर चौराहे पर “ना बाबा ना” नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। नुक्कड़ नाटक के जरिए कलाकारों ने प्लास्टिक का प्रयोग न करने का संदेश दिया।
नाटक में प्लास्टिक बने कलाकार ने जब कहा कि मैं धरती को बर्बाद कर दूंगी, तो चौराहे पर जुटे लोग भी उसकी बात सुनने लगे। प्लास्टिक ने अट्टाहास भरा और धरती के चारो तरफ गोल-गोल घूमने लगी तो पीछे से आवाज आई न जाने कहां से आई है, न जाने कहां को जाएगी ये प्लास्टिक। प्लास्टिक ने कहा कि बिजली गिराने मैं हूं आयी, कहते हैं मुझको प्लास्टिक माई। धरती अपना चेहरा दिखाती है कि पहले मैं ऐसी थी अब मेरा चेहरा बदरंग हो गया है। नाटक में सबसे मार्मिक दृश्य तब था जब किसी घर के फेके हुए प्लास्टिक को गाय खाकर मर जाती है। कलाकारों ने अपने लघु नुक्कड़ नाटक में प्लास्टिक को ना बाबा ना कहने का संदेश दिया है। नाटक में बनारसी अंदाज भी शामिल किया गया।
जब सब्जी बेचने वाले ने कहा कि झोला कहां है, तो दूसरे सब्जी विक्रेता ने कहा कि हमसे सब्जी ले लो मैं 10 रुपया कम दूंगा और प्लास्टिक के बैग में ही सब्जी दे दूंगा। यह बनारस में पूर्णतः सत्य है। कोई झोला लेकर सब्जी खरीदने नहीं जाता। सबको प्लास्टिक ही चाहिए और सब प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी चाहते हैं। नाटक की लेखक और निर्देशक श्रद्धा चतुर्वेदी हैं। नाटक के पात्रों में प्रांजल श्रीवास्तव संदेश देने वाले युवा बने हैं और पीहू मालकिन, तनुश्री पृथ्वी, श्रुति पटेल प्लास्टिक, एहतेशाम सब्जी वाला, ऐमन नौकरानी, आदित्य सब्जी वाला, शिखा गाय और आकांक्षा ने जागरूक दर्शक की भूमिका अदा की।
इस दौरान संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव ने कहा कि जनता तक प्रभावी रूप से संदेश देने का ताकतवर माध्यम है नुक्कड़ नाटक। कला और संस्कृति ही बदलाव के वाहक हैं। ज्वलंत मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक विशाल भारत रंगमंच द्वारा किया जाएगा।