Gorakhpur : विकास की अधूरी खुशी 278 करोड़ फूंकने के बाद भी बीमार मासूमों को लेकर दौड़ रहे लखनऊ

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गोरखपुर : इंसेफेलाइटिस समेत तमाम गंभीर बीमारियों से पूर्वांचल के मासूमों को बचाने के लिए बन रहे 500 बेड के बाल रोग संस्थान का निर्माण 11 वर्षों में भी पूरा नहीं हो सका है। इस कारण गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए अभिभावक लखनऊ से दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं।बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में बन रहे इस अस्पताल में 100 से अधिक बाल रोग सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों की तैनाती होनी है। यह कब होगी? इसका जवाब भी देने वाला कोई नहीं है। 2015 में इस अस्पताल की 10 मंजिलाें का ढांचा बनकर तैयार हो गया था। लेकिन अंदर के काम अब भी अधूरे हैं। ये काम कब पूरे होंगे, इसकी जानकारी भी जिम्मेदार नहीं दे पा रहे हैं।2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 500 बेड के बाल रोग संस्थान का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के बाद 2013 में इसके निर्माण की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम को मिली। शुरुआती दौर में इसे 14 मंजिल का बनना था। इसके लिए 252 करोड़ का बजट भी पास किया गया। निर्माण कार्य 2015 में पूरा हो जाना था, जो नहीं हो सका। 2016 में दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में आधे-अधूरे निर्माण कार्य के बीच ही लखनऊ से ही इसकी ओपीडी की शुरुआत अखिलेश यादव ने कर दी, लेकिन एक भी दिन ओपीडी नहीं चली।

2017 में 14 की जगह 10 मंजिला भवन बनने का प्रस्ताव
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद 500 बेड का बाल रोग संस्थान 14 मंजिला की जगह 10 मंजिला बनने का प्रस्ताव पास किया गया। इस दौरान 252 करोड़ के बजट को 278 करोड़ कर दिया गया। साथ ही उस वक्त तय किया गया कि 2019 में इसे पूरी तरह से तैयार कर दिया जाएगा। लेकिन, यह काम भी छह सालों में पूरा नहीं हो सका। जबकि, इसका निरीक्षण भी स्वास्थ्य महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा करीब छह माह पूर्व कर चुकी हैं।

मुख्यमंत्री ने किया था 300 बेड के कोविड-19 चिकित्सालय का शुभारंभ
कोरोना महामारी के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 300 बेड के कोविड-19 चिकित्सालय का उद्घाटन बाल रोग संस्थान के भवन में ही किया था। पहली और दूसरी लहर में यह अस्पताल पूरी गति से चला। लेकिन, जब कोरोना महामारी खत्म हुई तो इस वार्ड को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। अब संस्थान पूरी तरह से खाली और सूनसान पड़ा है।