
देवरिया : पिपरा मिश्र अनिल चतुर्वेदी हत्याकांड में यहां की पुलिस की चूक और लापरवाही नजर आ रही है। घटना से पहले अनिल ने स्वयं थाने पर पहुंचकर मारपीट, परिवार की सुरक्षा और जानमाल के भय का जिक्र करते हुए तहरीर दी थी। तहरीर देने के बाद गांव पर पुलिस के जाने के इंतजार में वह घंटों थाना गेट के बाहर ही बैठे रहे। जब पुलिस नहीं गई तो अंत में थक-हारकर देर शाम को मायूस होकर वह घर निकल गए। परिजनों और गांव वालों का कहना है कि समय रहते पुलिस चेती होती तो शायद अनिल की जान बच गई होती। अनिल ने पुलिस को तहरीर के साथ आरोपी के हाथ में कुल्हाड़ी लिए फोटो भी संलग्न की थी।पिपरा मिश्र के रहने वाले अनिल चतुर्वेदी दिल्ली में परिवार सहित रहते थे। होली पर्व के दौरान गांव आए थे। सहन की जमीन के लिए हुए विवाद में शनिवार की रात पट्टीदारों ने उनकी हत्या कर दी। हत्यारोपियों ने घटना से पहले अनिल की मां और बहन को भी मारा-पीटा था। गांव आने के बाद अनिल चतुर्वेदी ने थाने पहुंचकर पूरे घटनाक्रम की तहरीर देते हुए, उसमें सुरक्षा की मांग का जिक्र किया था।
पूरे परिवार की जानमाल का खतरा
तहरीर में आशंका जताई थी कि तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे परिवार की जानमाल का खतरा है। बावजूद इसके पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। उधर, हमलावरों ने अनिल की जान ले ली। गांववालों का कहना है कि समय रहते पुलिस ने मामले को संज्ञान में लिया होता तो यह घटना नहीं होती।