एक पत्नी का अपने पति के नाम पत्र

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अजनबी बन जाएं प्रिय हम दोनों

प्रिय,

इसके आगे क्या संबोधन करूं में समझ में नहीं आता है साजन, प्यारे, जानू जैसे शब्द (संबोधन) बीस वर्ष पूर्व ही किसी बेसमेंट के कबाड़ में गुम गए। डियर हसबैंड लिखने में तो और भी डर लगता है। आज शादी के बाईस वर्ष पश्चात आपके अंतर्द्वद्व को महसूस कर इतना तो जान गई हूं कि प्रेम का लक्ष्य शादी नहीं केवल प्रेम होना चाहिए। कहा जाता है विवाह का रिश्ता बराबरी वालों में ही बेहतर, पर प्यार? प्यार करने वालों को कहां पता होता है ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी का धनाढ्य फेमिली से बिलॉन्ग करने वाला आपका भावुक परंतु अहंकारी स्वभाव पता नहीं कब एक मध्यवर्गीय सुसंस्कृत परिवार की लड़की से मैच कर गया। शायद यह प्रेम और भावुकता भी आपने अपने उन लंगोटिया दोस्तों से ही ग्रहण किया था, जिनके साथ आप गांव की गलियों में गिल्ली-डंडा खेला करते थे, जिनकी भैंस पर बैठकर चरवाहा होने का आनंद उठाते थे। जमींदारी अहं वाले परिवार ने आपकी चाहत पर तो चुप्पी साध ली, किंतु शादी की इजाजत नहीं दी। एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की के लिए प्रेम से ज्यादा आत्मसम्मान प्रिय था। टूटता हुआ प्रेम संबंध अंततः बाईस वर्ष पूर्व विवाह में बदल गया, क्योंकि हम केवल एक-दूसरे को प्यार ही नहीं करते थे, बल्कि अभ्यस्त हो चुके थे। विवाह होते ही आपके फेमिली की नाक कट गई और आप…! शायद आज तक उस हीन भावना से उबर नहीं पाए। वो हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, जब हमने अपने प्यार को एक पहचान दे देकर पति-पत्नी बन गए। मात्र दो वर्ष के बाद मेरा भ्रम टूट गया। आकंठ प्रेम में डूबा प्रेमी एक आक्रोशी पति बन गया। उस दिन मुझे जलील कर आपने जता दिया था कि पति का अपना अधिकार भी होता है। कभी-कभी मुझे महसूस होता था कि आप शादी के बाद ही हीनता से ग्रसित हो गए। अब तो आपके स्पेशल और मेरे कॉमन व्यक्तित्व के बीच हर दिन जंग होती है। सोसाइटी में आपके रुतबे के कारण मैं बहुत सम्मान पाती हूं, किंतु बात-बेबात मुझे आभास भी करा देते हैं कि मैं पढ़ी-लिखी टिपिकल सी औरत हूं। कभी-कभी मुझे आपमें अपने पच्चीस वर्ष पूर्व के प्रेमी का भी आभास होता है, लेकिन आपके पति रूप को मैं झेल नहीं पा रही हूं। यहां अपराधबोध से ग्रस्त एक दुराग्रही दिख रहा है। अब न तो कहीं प्रेमी नजर आता है, न ही पति मेरा दम घुटता है। शायद मैं अवसाद में जा रही हूं। काश! हमने शादी न की होती, हमारा प्यार बिल्कुल पहले जैसा होता। क्या हम फिर अजनबी नहीं बन सकते।

आपकी