रोजाना एक कविता: जब तुम मुझे बहुत याद आओगी

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रोजाना एक कविता
when you will miss me so much
i will water the plants
clean the dust from the leaves
I can also do this to watch TV

जब तुम मुझे बहुत याद आओगी
मैं पौधों में पानी डालूंगी
पत्तो से धूल साफ करूँगी
करने को ये भी कर सकती हूं कि टीवी देख लूँ
पर मन नहीं लगता

जब तुम ज्यादा याद आती हो तो पार्क की उस बतख से बोलती हूँ
के अब नही बनाउंगी तुम्हारा वीडियो
जिसे तंग करती थी वो नहीं है

जब सोचती हूँ नहीं हो तुम तभी लगता है कितनी ज्यादा हो तुम के हर दिन किसी न किसी से किसी न किसी पेट दर्द के बहाने रोने लगी हूँ
फूल पत्ते पेड़ हरियाली पर तुम्हारी दादागिरी तो थी नहीं पर ये सब तुम्हारे साथ ही याद आते हैं
बादल आसमान बारिश भी
कैसा भर भर की जी रही थी तुम

जब ज्यादा याद आती है तो गायत्री मंत्र पढ़ने लगती हूँ
मन से ज्यादा मंत्र का जादू नहीं चलता

जब याद नहीं आओगी तब शॉपिंग करने जाऊंगी
जरा बताना कब होगा ऐसा
चली तो ऐसे गई हो जैसे चाँद के झूले पर कारवां वाला रेडियो लिए मुस्करा रही हो
दिल हूंम हुम करे वाला गाना तो हम सुन रहे हैं

तुम सुनो कोई चटपटा दिल जलाने वाला गाना
पेन पेंसिल साथ ही रखना

पर याद रखना
सब कोरा कागज यही रह गया है
देखते हैं कैसे बनाती हो चित्र
मुझे क्या

बनारस की लड़की का दिल दुखा गई हो
गाली बहुत आती मुझे
बस दे नहीं पा रही

जब याद आती हो तो आती हो
और क्या