आंवला नवमी कब है, क्यों कहते हैं इसे जगधात्री पूजा और अक्षय नवमी
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवली नवमी का पर्व मनाया जाता है
शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवला के वृक्ष में निवास करते हैं इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है
आइए जानते हैं आंवला नवमी कब है और इसे क्यों कहते हैं अक्षय नवमी और जगधात्री पूजा
शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला नवमी के दिन किया गया पुण्य कार्य कभी खत्म नहीं होता है।
इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा-अर्चना, भक्ति, सेवा आदि की जाती हैं, उसका पुण्य कई जन्म तक मिलता है
आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय फल है और आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवता निवास भी करते हैं इसलिए इस वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है।
आंवला नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि का प्रारंभ - 21 नवंबर सुबह 3 बजकर 16 मिनट से
नवमी तिथि का समापन - 22 नवंबर रात 1 बजकर 8 मिनट तक
ऐसे में उदयातिथि को मानते हुए 21 नवंबर दिन मंगलवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा।
आंवला नवमी पूजा शुभ मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक