सुखी जीवन के स्वर्णिम सूत्र

Bysushma gupta ,25oct23,india ground report

जीवन को सुखी बनाने के लिए कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य को पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार ही सुख-दुःख भोगना पड़ता है

 ईश्वर के दरबार में और गुरुजनों के पास कभी भी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए, धर्मशास्त्र अनुसार जो इन सब जगह खाली हाथ जाता है वह खाली हाथ ही वापस लौटता है।

दूसरों की निन्दा करने से आयु घटती है और किसी को दिए हुए दान का बखान करने से दान निष्फल हो जाता है।

 कोई भी कर्म करने से पहले मनुष्य को उसके परिणामों पर भली-भांति विचार कर लेना चाहिए क्योंकि बिना विचारे कर्म करने पर जीवनपर्यन्त कष्ट देने वाला होता है।

 मनुष्य जितना भी ईश्वर से एकाकार होगा उतना ही स्वच्छ एवं महान होगा क्योंकि ईश्वर ही ज्ञान-विज्ञान एवं सभी शक्तियों का स्त्रोत है।

 वे मनुष्य धन्य हैं जो सत्य के उपासक हैं और जो सभी प्राणियों को समदृष्टि से देखते हैं तथा न किसी से राग न किसी से द्वेष रखते हैं।

मृत्यु आने का कोई समय नहीं, यह कभी भी किसी भी पल आ सकती है और इस पर किसी का बस नहीं चलता इसलिए जब तक शरीर में श्वास है, ईश्वर नाम स्मरण कर जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।