
महाशिवरात्रि पर एक नाथ शिंदे ने भोलेनाथ के सामने टेका माथा
आनंद शुक्ला
उल्हासनगर : उल्हासनगर व अंबरनाथ की सीमा पर स्थित प्राचीन शिवमंदिर परिसर में महाशिवरात्री पर्व विशेष रूप से मनाया गया।
शनिवार को महाशिवरात्रि पर्व पर अंबरनाथ और उल्हासनगर शहरों में शिवजी के अन्य मंदिरों को भी सजाया गया था. स्थानीय पुरातन कालीन शिवमंदिर का अपना 963 साल का इतिहास है. पर्व के दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु ने पूजा व दर्शन के किए.
महाराष्ट्र राज्य मुख्यमंत्री एकनाथ सिंध नदी महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ भगवान शिवलिंग के सामने माथा टेक कर अपने दैनिक कार्यों की शुरुवात किया ।उल्हासनगर शहर में जगह जगह प्रसाद का वितरण पूरे दिन चलता रहा उल्हासनगर शहर को संतों की नगरी भी कहा जाता है और धार्मिक कार्यों के लिए उल्हासनगर पूरे देश में प्रसिद्ध है
देवो के देव महादेव भगवान शंकर की आराधना का पर्व और शिव-पार्वती के विवाह का उत्सव महाशिवरात्रि होता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव और शक्ति के मिलने के उत्सव के रूप में इस पर्व को मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है. शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम पूरा दिन चलता रहा . अंबरनाथ रेलवे स्टेशन के पूर्व परिसर से प्राचीन शिवमंदिर मात्र डेढ़ किलोमीटर के अंतर पर है, कभी यह क्षेत्र गांव हुआ करता था पर मंदिर से कुछ ही दूरी पर ऊंची -ऊंची बिल्डिंगें बन गई . इस ऐतिहासिक मंदिर में अंबरनाथ – उल्हासनगर के अलावा ठाणे व रायगढ़ मुबई,जिले के अन्य शहरों और ग्रामीण परिसर के लोग भी मंदिर में दर्शन के लिए आये।
यहाँ पर लगे मेले का आनंद लिया।
दर्शनार्थियों की सेवा में स्थानीय उल्हासनगर के नागरिकों द्वारा जमकर प्रसाद वितरण किया गया। अंबरनाथ
मंदिर के गर्भगृह में दर्शन की सुविधा थी लेकिन
अगरबत्ती, नारियल, दूध आदि पर पाबंदी थी विजय चाहु पाटिल पुरातन कालीन शिवमंदिर के वंश परंपरा के पुजारी द्वारा सभी श्रद्धालु को भरपूर सहयोग किया और वहां पर आए सभी श्रद्धालुओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा था।
इसी तरह उल्हासनगर बिरला गेट रोड पर स्थित महाकाल के मंदिर में भी शिव भक्तों में ने भोलेनाथ बाबा का दर्शन कर कर आशीर्वाद प्राप्त किया यहां के पुजारी गणेशानंद महाराज ने सभी शिव भक्तों में अपने हाथों से प्रसाद वितरण करके आए हुए सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान भोलेनाथ से विनती किए।