India Ground Report

सबसे बड़ा नुकसान साहित्य से दूर होना

पिता का पुत्र के नाम पत्र

प्रिय बेटे प्रांजल,

ये सारी बातें मैं तुम्हें फोन पर भी कह सकता था, परंतु लिख रहा हूं ताकि तुम पाठ्यक्रम की पुस्तकों और मोबाइल संदेशों के अलावा भी कुछ पढ़ो। आधुनिक जीवनशैली और गला काट प्रतियोगिता ने सबसे बड़ा नुकसान तुम्हारी पीढ़ी को साहित्य से दूर करके किया है, विशेषकर हिंदी साहित्य से। हमने भी भेड़-चाल कहें या समय की मांग को देखते हुए तुम्हें अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाया, फिर भी हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमें इससे प्रेम करना है और सही सीखकर इसका सम्मान भी करना है। यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि मोबाइल के एस. एम. एस. और अन्य एप पर जो स्लैंग का उपयोग किया जाता है, उससे रहा-सहा भाषा का ज्ञान भी लोप हो रहा है। मैं जानता हूं तुम्हें अपने कॉलेज की पढ़ाई से समय नहीं मिलता, फिर भी किसी तरह अपनी दिनचर्या में सुधार कर उसमें से कुछ समय अवश्य निकालो। कुछ अलग सा पढ़ने के लिए। यह तुम मोबाइल, फेसबुक, वॉट्स एप इत्यादि में जो समय व्यतीत होता है, उसमें से भी चुरा सकते हो। मैं तुम्हें हिंदी की अच्छी विचारोत्तेजक पुस्तकों को पढ़ने की सलाह दे रहा हूं। हिंदी हमारी मातृभाषा है।

इसमें लिखा हम आसानी से आत्मसात कर लेते हैं। दरअसल हम सोचते तो अपनी मौलिक भाषा में ही हैं। हिंदी साहित्य हमें अपने संस्कारों, अपनी विरासत, अपने मूल्यों से जोड़ता है। हमें अपनों से जोड़ता है। पुस्तकों का संसार अद्भुत है। अच्छी पुस्तकें जीवन जीना सिखाती हैं। इनमें जीवन की बहुत-सी समस्याओं का हल छिपा होता है। तुम जब पढ़ना आरंभ करोगे, तो अनुभव करोगे ये अध्ययन एकरसता को भी तोड़ता है और हमें उमंग और उत्साह से भर देता है। जीवन में सब कुछ अपने ही अनुभव से सीखना कठिन है। फिर नुकसान भी हो सकता है। दूसरों के जीवन का ज्ञान हमें इन पुस्तकों से मिल सकता है। पढ़ा हुआ साहित्य विपरीत परिस्थितियों में और कठिन चुनौतियों के समय में संदर्भ बनकर हमारी मदद करता है।

पुस्तकें सफर में, इंतजार में और अकेलेपन में हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं, सलाहकार हैं। ये उदासीनता से बचने का भी साधन हैं। मेरे एक मित्र की तो नींद न आने की समस्या भी पढ़ने से हल हो गई। भले ही कुछ ही पेज पढ़ो, पर प्रतिदिन पढ़ो जरूर। तुम देखोगे वर्ष भर में तुमने चार-पांच पुस्तकें पढ़ ली हैं। एक अच्छी पुस्तक पढ़ने के बाद हमारा व्यक्तित्व वो नहीं रहता, जो पहले था। पुस्तकें तुम्हारे शब्दकोश को भी समृद्ध करेंगी। तुम देखोगे कि सही शब्द चुनने से समस्या भी कई बार आसान हो जाती है। संप्रेषण आसान और स्पष्ट हो जाता है तथा विचार व्यवस्थित हो जाते हैं। लाभ अनगिनत हैं और नुकसान कुछ भी नहीं केवल इच्छा जाग्रत करना और समय प्रबंधन करना है।

यह तो अनेक सुविधाओं का युग है। अधिक पुस्तकें साथ नहीं रख सकते, तो ई-बुक रीडर को जानो और उपयोग करो, लेकिन पढ़ो अवश्य। तुम देखोगे तुम्हारा समय जो पढ़ने में गया, उसने तुम्हारी क्षमता को बढ़ाया और पाठ्यक्रम की पुस्तकों समझने में फिर तुम्हें कम समय लगा। खूब लिखा जा रहा है, अच्छा भी लिखा जा रहा है, बस पाठक कम हो रहे हैं, इसलिए हमेशा मैं तुमसे कहता रहा हूं आज लिखकर कहता हूं- ‘अपने को पुस्तकों से जोड़ो। पुस्तक मित्र बनो।’

तुम्हारा पिता प्रवीण गार्गव

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