
Thane : 15 सालों से प्यासा है मुंब्रा कौसा

ठाणे: मुंब्रा कौसा में एक बार फिर पानी की समस्या को लेकर कोहराम मचा हुआ है। जहां एक ओर एनसीपी पानी समस्या को लेकर स्टंटबाजी में लगी है, तो वही स्थानीय नागरिक गंदा पानी पीने को विवश हैं। ऐसे सनसनीखेज आरोप लगाते हुए एमआईएम के वरिष्ठ नेता जावेद सिद्दीकी (senior MIM leader Javed Siddiqui) ने कहा कि मुंब्रा कौसा में पानी की समस्या है। समस्या सत्ताधारी दल की देन है। 15 सालों में भी इस समस्या का निदान नहीं हो पाया। इसके लिए पूरी तरह एनसीपी जिम्मेदार है।
वैसे मुंब्रा कौसा की पानी की समस्या के समाधान के लिए 212 करोड़ की निधि उपलब्ध कराई गई है। इस निधि से वाटर टंकियों का निर्माण करने के साथ ही जल वितरण व्यवस्था को सुचारू करने हेतु नई पाइप लाइन बिछाने जैसे काम किए जाने थे। लेकिन आज तक एक भी पानी टंकी का निर्माण नहीं हो पाया है। जल वितरण हेतु बिछाई जा रही पाइप लाइन को लेकर भी किसी तरह की प्रगति देखने को नहीं मिल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीपी 15 सालों से यहां के लोगों को पानी के लिए तड़पा रही है। जावेद सिद्दीकी का कहना है कि एक ओर गटर, नाले और ब्यूटीफिकेशन के लिए तो निधि उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन जब पानी की समस्या के समाधान के लिए कुछ करने की बात आती है, तो सत्ताधारी एनसीपी के लोग हाथ खड़े कर देते हैं। क्योंकि ऐसे कामों में उन्हें अतिरिक्त कमाई नहीं हो पाएगी।
मुंब्रा कौसा में पानी समस्या को लेकर किए गए एनसीपी के विरोध आंदोलन को उन्होंने राजनीतिक स्टंटबाजी बताया। साथ ही कहा कि इस समस्या के लिए पूरी तरह एनसीपी ही जिम्मेदार है। 15 सालों से लगातार यहां से एनसीपी के प्रतिनिधि चुनकर ठाणे महानगरपालिका और विधानसभा में पहुंच रहे हैं। लेकिन पानी समस्या के समाधान के लिए कुछ भी नहीं किया गया। उन्होंने इस बात का विशेष जिक्र किया कि एनसीपी द्वारा चुनावी माहौल को देखकर ही यह नौटंकी किया जा रहा है। एनसीपी को अपनी गलती के लिए आम पब्लिक से माफी मांगनी चाहिए।
मुंब्रा कौसा में ठाणे महानगरपालिका की स्थापना के बाद से लेकर अब तक एक भी पानी टंकी का निर्माण नहीं किया जा सका है। इसके साथ ही आठ लाख की आबादी वाले इस उपनगर के लिए केवल तीन ही वाटर टैंकर उपलब्ध है। यह वाटर टैंकर भी सामान्य लोगों के लिए नहीं है। बल्कि एनसीपी के जो तीन चार राजनीतिक चेहरे हैं, वे अपने ही वार्ड में इन टैंकरों से पानी उपलब्ध करवाते हैं। जबकि अन्य भागों के लोगों को पानी के लिए परेशानी झेलनी पड़ती है। इन बातों का जिक्र करते हुए जावेद सिद्दीकी ने कहा कि सबसे अधिक दुख की बात यह है कि एनसीपी वाले गत 15 सालों से मुंब्रा कौसा के लोगों को गंदा पानी पिला रहे हैं। उन्होंने दावे के साथ कहा कि मुंब्रा कौसा को जो पानी आपूर्ति हो रही है वह सीधे डैम से हो रही है। लेकिन इस पानी का शुद्धीकरण नहीं किया जाता है। जिस कारण बीच-बीच में पानी में कचरा या गंदे पानी आने की बात सामने आती रही है। उन्होंने मांग की है कि रेतीबंदर से लेकर मुंब्रा पुलिस स्टेशन तक ठाणे शहर की ओर से पानी आपूर्ति की जाती है। लेकिन यह पानी मुंब्रा स्टेशन से आगे की ओर नहीं बढ़ पाता है। ठाणे शहर से रेती बंदर और पुलिस स्टेशन परिसर को मिलने वाले पानी को विषम परिस्थिति में कौसा तक पहुंचाने की मांग जावेद सिद्दीकी ने की है। उन्होंने कहा कि यदि किसी कारणवश डैम का पानी नहीं मिल पाया तो ठाणे से आ रहे पानी से समस्या का कुछ निदान हो सकता है। लेकिन एनसीपी के नेता ऐसा होने नहीं दे रहे हैं।

पानी समस्या को लेकर एनसीपी नगरसेवकों की वादाखिलाफी को लेकर भी सिद्दीकी ने तीखी टिप्पणी की है। तमाम नगरसेवकों ने वादा किया था कि वे नगरसेवक निधि से दो दो लाख की निधि पानी समस्या से निपटने में देंगे। लेकिन अब तक केवल एक ही नगरसेवक ने वह निधि दी है। एनसीपी के नगरसेवक आज तक एक पैसे भी नहीं दिए। यह वादाखिलाफी नहीं तो और क्या है। ऐसा सवाल उन्होंने किया। साथ ही आरोप लगाया कि मुंब्रा कौसा की पानी समस्या के लिए पूरी तरह एनसीपी जिम्मेदार है।