श्रीनगर : (Srinagar) काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (Counter Intelligence Kashmir) (सीआईके) ने मंगलवार को कहा कि सोशल मीडिया पर चरमपंथी सामग्री अपलोड करने के आरोप में श्रीनगर के एक निवासी को गिरफ्तार किया गया है। एक बयान में प्रवक्ता ने कहा कि सीआईके की एक टीम ने फेसबुक पर एक कट्टरपंथी सोशल मीडिया हैंडल शैडी कश्मीर ड्रायफ्रूट्स का संचालन करने वाले एक व्यक्ति की सफलतापूर्वक पहचान की और उसे गिरफ्तार किया जिसका इस्तेमाल शांति भंग करने के इरादे से चरमपंथी सामग्री प्रसारित करने के लिए किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया निगरानी के बाद टीम ने गिरफ्तारी की।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गतिविधि के बारे में इनपुट मिलने पर एक त्वरित जांच शुरू की गई। सोशल मीडिया हैंडल की पूरी जानकारी हासिल की गई जिससे संदिग्ध की पहचान शौकत अहमद डार के रूप में हुई जो दूध मोहल्ला, शालीमार, श्रीनगर का निवासी गुलाम अहमद डार का बेटा है।
बयान के अनुसार डार आतंकवाद, आतंकवादी कमांडरों का महिमामंडन करने और युवा मन में राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काने के उद्देश्य से सामग्री पोस्ट करने और साझा करने में सक्रिय रूप से शामिल पाया गया।
उन्होंने कहा कि संदिग्ध को ट्रैक करने के प्रयास शुरू में उसके लगातार मूवमेंट और लोकेशन बदलने के कारण बाधित हुए। हालांकि उसे उसके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ पकड़ने के लिए जमीनी स्तर पर एक अच्छी तरह से समन्वित रणनीति लागू की गई।
बयान में कहा गया है कि डिजिटल डिवाइस की प्रारंभिक जांच से कट्टरपंथी फेसबुक अकाउंट तक पहुंच का पता चला, साथ ही मारे गए आतंकवादी कमांडर जाकिर मूसा के वीडियो और अन्य चरमपंथी प्रचार सहित आपत्तिजनक सामग्री भी मिली। बयान के अनुसार डार का कट्टरपंथी गतिविधियों का इतिहास रहा है। उसे पहले 2019 में श्रीनगर के हरवान पुलिस स्टेशन ने पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके अलावा 2022 में उसे कट्टरपंथी सामग्री के ऑनलाइन प्रसार में शामिल होने के लिए साइबर पुलिस स्टेशन श्रीनगर द्वारा हिरासत में लिया गया था।
बयान में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में खुफिया एजेंसियों के अनुरोध पर सभी सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं ने विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में कट्टरपंथी प्रचार की निगरानी के लिए विशेष इकाइयाँ स्थापित की हैं। जैसे ही उनकी निगरानी इकाई द्वारा ऐसी कोई कट्टरपंथी गतिविधि देखी जाती है इसकी सूचना तुरंत सुरक्षा एजेंसियों को दी जाती है। इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनियों की विशेष निगरानी इकाइयों के साथ समन्वय में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई ये संयुक्त कार्रवाइयां कई कट्टरपंथी मॉड्यूलों का भंडाफोड़ करने और संभावित आतंकवादियों की पहचान करने में मददगार रही हैं।