शिमला : (Shimla) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में इस साल मॉनसून का मौसम ज्यादा बरसात वाला रहा। दक्षिण-पश्चिम मानसून 20 जून को प्रदेश में प्रवेश कर गया था और 24 जून तक पूरे हिमाचल में फैल गया। यह सामान्य तारीख से एक दिन पहले हुआ। पिछले 29 वर्षों में मानसून का सबसे जल्दी आगमन वर्ष 2000 में 9 जून को और सबसे देर से आगमन वर्ष 2010 में 5 जुलाई को दर्ज हुआ था।
जून से सितंबर के बीच इस बार हिमाचल प्रदेश में 1022.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि सामान्य औसत 734.4 मिलीमीटर है। यानी इस बार प्रदेश को 39 प्रतिशत ज्यादा वर्षा प्राप्त हुई। यह बारिश पिछले 29 वर्षों में सबसे ज्यादा और वर्ष 1901 से 2025 की अवधि में 15वीं सबसे अधिक रही। वर्ष 1922 में 1314.6 मिलीमीटर के साथ प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
मौसम विभाग (Meteorological Department) द्वारा दिये गए आंकड़ों के मुताबिक मानसून की बारिश का यह पैटर्न महीनों के हिसाब से भी अलग-अलग रहा। जून में औसत से 34 प्रतिशत ज्यादा 135 मिलीमीटर वर्षा हुई। इस दौरान हमीरपुर, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बरसात दर्ज की गई। जुलाई में औसत से 2 प्रतिशत कम 250.3 मिलीमीटर वर्षा हुई, हालांकि शिमला, मंडी और कुल्लू में सामान्य से अधिक बारिश हुई, जबकि लाहौल-स्पीति में बहुत कम वर्षा दर्ज की गई। अगस्त में सबसे ज्यादा 431.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो औसत से 68 प्रतिशत ज्यादा रही। इस दौरान बिलासपुर, चंबा, किन्नौर, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और ऊना में भारी वर्षा हुई। सितंबर में भी मानसून ने कोई कमी नहीं छोड़ी और औसत से 71 प्रतिशत अधिक 205.7 मिलीमीटर बारिश हुई।
इस मानसून सीजन में कई जगहों पर अति भारी वर्षा भी दर्ज हुई। मंडी जिले के संधोल, मंडी और पंडोह में 1 जुलाई को, संधोल में 29 जुलाई को, ऊना में 2 अगस्त को, बिलासपुर जिले के आरएल बीबीएमबी और रायपुर मैदान में 1 सितंबर को तथा कांगड़ा जिले के धर्मशाला में 14 सितंबर को बेहद भारी बारिश दर्ज की गई। जून में 4 दिन, जुलाई में 8 दिन, अगस्त में 15 दिन और सितंबर में 9 दिन प्रदेश में बहुत भारी बारिश का दौर चला।
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 24 सितंबर को हिमाचल से आंशिक विदाई ली और 26 सितंबर को पूरे प्रदेश से विदा हो गया। यह सामान्य तिथि से एक दिन बाद हुआ। इस तरह 2025 का मानसून हिमाचल प्रदेश के लिए न केवल ऐतिहासिक रूप से ज्यादा बारिश वाला साबित हुआ, बल्कि कई जिलों में रिकॉर्ड तोड़ वर्षा के आंकड़े भी दर्ज किए।