शिमला : (Shimla) हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया है। इसके तहत प्रदेश सरकार रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध पशुपालकों से खरीद रही है, जिससे हजारों किसानों और पशुपालकों की आय में सीधा इज़ाफा हो रहा है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल लगभग 38,400 पशुपालकों से औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर की दर से और 1,482 भैंस पालकों से 7,800 लीटर दूध 61 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीद रही है। इसके साथ ही सरकार ने दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में दूध पहुंचाने की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए 2 रुपये प्रति लीटर का परिवहन भत्ता भी देना शुरू किया है। इससे किसानों की लागत में कमी आई है और बाजार तक पहुंच आसान हुई है।
उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए भी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। राज्य की दूध सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवहन भत्ता बढ़ाकर 3 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। यह सुविधा उन सभी समितियों को मिल रही है जो सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 और हिमाचल प्रदेश को-ऑपरेटिव सोसायटीज एक्ट, 1968 के अंतर्गत पंजीकृत हैं। इस योजना पर सरकार हर साल करीब छह करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार की ‘हिम गंगा’ योजना के तहत डेयरी क्षेत्र में ग्रामीण स्तर पर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में 268 नई दुग्ध सहकारी समितियां स्थापित की गई हैं। इनमें कांगड़ा में 222 समितियां सक्रिय हैं जिनसे 5,166 किसान जुड़े हैं। हमीरपुर जिले में 46 समितियां बनी हैं, जिनमें से 20 महिला समितियों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। यह कदम ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट परियोजना भी शुरू की है। इसके तहत 15 बकरी पालकों से प्रतिदिन 100 लीटर दूध 70 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। यह योजना पर्वतीय क्षेत्रों में विविध डेयरी विकल्पों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने बताया कि इन योजनाओं से न केवल पशुपालकों की आय बढ़ेगी, बल्कि सहकारी ढांचे के माध्यम से ग्रामीण विकास और सामाजिक सशक्तिकरण को भी नई दिशा मिलेगी।