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रोजाना एक कविता: पढ़िए अनुराग अनंत की कविता प्यार से मारे गए लोग

rojaana ek kavita

तितलियों को भी कैसी क्रूर किस्मत मिली
और जुगनुओं को भी
कि बच्चों के खेल में मारे गए दोनों के दोनों
जबकि बच्चों के खेल से कोमल कुछ नहीं था इस संसार में

हिंसा की नीयत से नहीं छुआ बच्चों ने उन्हें
वे उन्हें प्रेम करते थे
उनके रूप-रंग से अचंभित
उनके आकर्षण में बंधे हुए
बच्चों ने उन्हें प्रेम से मारा

प्रेम से मारा गया ही जान सकता है
प्रेम से मारे जाने की त्रासदी

मैं नहीं जानता
कि प्रेम की कमी से मरना अच्छा है
या प्रेम की अधिकता से

बस इतना जानता हूँ
कि गुलाब की पंखुड़ी से कटी हुई गर्दन का दुःख
राजा की तलवार से कटी हुई गर्दन के दुःख से ज़्यादा होता है।

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